रिजर्व बैंक ने आईएमएफ के हाथों बेचा एसडीआर


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विशेष आहरण अधिकारों (एसडीआर) को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हाथों बेच दिया है। इसके अंतरिम भुगतान से सरकार को राजकोषीय घाटा लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा का लक्ष्य जीडीपी का 4.8 फीसदी तय कर रखा है। इस मामले के करीबी सूत्रों के अनुसार केंद्रीय बैंक ने सरकार को 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस भुगतान को तकनीकी तौर पर लाभांश इसलिए नहीं कहा जा सकता है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक लाभ कमाने वाली संस्था नहीं है। केंद्रीय बैंक अतिरिक्त रकम सृजित करता है और उचित मात्रा में आरक्षित कोष रखने के बाद शेष रकम सरकार को हस्तांतरित कर देता है। ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में कुल विदेशी मुद्रा भंडार 293.4 अरब डॉलर है और इसमें कुल विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 266.8 अरब डॉलर है। जबकि कुल विदेशी मुद्रा भंडार में एसडीआर की हिस्सेदारी 445.6 अरब डॉलर थी। एसडीआर एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित परिसंपत्ति है जिसे सदस्य देशों की मदद के लिए आधिकारिक भंडार के तौर आईएमएफ ने 1969 में स्थापित किया था। इसका मूल्य चार प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है और इस्तेमाल के लिय एसडीआर का विनिमय मुक्त मुद्राओं में किया जा सकता है। सूत्रों ने संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक के पास एसडीआर की भरपाई अगले वित्त वर्ष में करने का विकल्प मौजूद है। आरबीआई को मुख्य तौर पर विदेशी परिसंपत्तियों में निवेश के जरिये आय होती है। घरेलू मोर्चे पर सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश, नकदी प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए रीपो दर और रिवर्स रीपो दर में वृद्धि और अन्य स्थायी सुविधाओं से रिजर्व बैंक के पास अतिरिक्त रकम जमा होता है। रिजर्व बैंक लेखा संबंधी कार्यों के लिए जुलाई से जून कैलेंडर वर्ष का अनुकरण करता है और आरक्षित कोष रखने के बाद शेष रकम सरकार को हस्तांतरित कर देता है। आमतौर पर यह हस्तांतरण रिजर्व बैंक अगस्त में पूरे साल का लेखांकन करने के बाद करता है। वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक से चालू वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले अनुमानित अतिरिक्त रकम की मांग की थी ताकि राजकोषीय घाटे के आंकड़े को कम किया जा सके। अंतरिम बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। विशेषज्ञों ने राजकोषीय घाटे के इस आंकड़े की आलोचना करते हुए कहा है कि योजनागत खर्च में कमी दर्ज की गई लेकिन गैर योजनागत खर्च में इजाफा हुआ जिससे खुदरा महंगाई में तेजी दर्ज की जा सकती है। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में आरबीआई, राष्ट्रीयकृत बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 44,000 करोड़ रुपये के लाभांश का आकलन किया था। पिछले वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक ने सरकार को 33,100 करोड़ रुपये दिए थे और उससे एक साल पहले का यह आंकड़ा 16,100 करोड़ रुपये है।

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