वृंदावन : सोशल मीडिया से चर्चित हुईं हर्षा रिछारिया अब सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए रील से रियल यात्रा पर निकल पड़ी हैं। 14 अप्रैल से उन्होंने वृंदावन से संभल तक की पदयात्रा शुरू की है, जो 21 अप्रैल को कल्कि धाम में संपन्न होगी।
पदयात्रा का मकसद: धर्म से दूर होती युवा पीढ़ी को जगाना
हर्षा रिछारिया ने साफ कहा कि आज की युवा पीढ़ी न केवल धर्म से, बल्कि माता-पिता से भी कटती जा रही है। वृद्धाश्रमों और विधवा आश्रमों की बढ़ती संख्या इसका सबूत है। उनकी ‘सनातनी युवा जोड़ो पदयात्रा’ का लक्ष्य है युवाओं को फिर से सनातन संस्कृति से जोड़ना।
वृंदावन से संभल: सिर्फ सड़क नहीं, यह विचारों की यात्रा है
इस पदयात्रा की शुरुआत वृंदावन के मंदिरों में पूजा और अभिषेक से हुई। हर्षा ने पहले बांके बिहारी मंदिर और फिर शिव मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ 7 दिन की पैदल यात्रा का ऐलान किया।
पदयात्रा में मुस्लिम युवती की भागीदारी: धर्म की सीमाएं तोड़ती एक मिसाल
इस यात्रा का सबसे चर्चित पल तब आया जब एक मुस्लिम युवती बुरखा पहनकर इसमें शामिल हुई। उसने बताया कि वह दो साल से सनातन धर्म के संपर्क में है और यहां उसे “आजादी का असली मतलब” मिला। उसने मुस्लिम समाज में लड़कियों पर पाबंदियों की तुलना सनातन की खुली सोच से की।
संत समाज का समर्थन, सोशल मीडिया का साथ
हर्षा की इस पहल को संत समाज और कई धर्माचार्यों का समर्थन मिल रहा है। साथ ही, सोशल मीडिया पर भी #SanataniYatra और #HarshaOnFoot जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। आध्यात्मिकता और इंटरनेट का यह संगम शायद पहली बार इतने पब्लिक प्लेटफॉर्म पर हो रहा है।
साध्वी नहीं, सोशल साधक हैं हर्षा
महाकुंभ के दौरान “वायरल साध्वी” और “ब्यूटीफुल साध्वी” के नाम से मशहूर हुईं हर्षा रिछारिया ने खुद को साध्वी मानने से इनकार किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह मंत्र दीक्षा लेकर एक आध्यात्मिक मार्ग पर हैं, पर साध्वी नहीं – बल्कि एक सामान्य इंसान, जो Reel के साथ Real को भी जी रही हैं।