पहलगाम आतंकी हमला: क्या पाकिस्तान के अलावा और भी कोई जिम्मेदार है?

अजीत उज्जैनकर
अजीत उज्जैनकर

बीते कुछ वर्षों में भारत वैश्विक मानचित्र पर अपने लिए बेहतर मौके और मैदान तैयार कर चुका था और US के करीब पहुंच चुका था, लेकिन, वैश्विक बाजार की प्रतिस्पर्धा की इस तेज़ रफ़्तार दौड़ में नुकसान सिर्फ चीन को हो रहा था।

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भारत-पाक रिश्तों में दुश्मनी का फायदा चीन को

मौजूदा दौर में भी भारत-पाकिस्तान के संबंधों की कटुतापूर्ण परिस्थितियां नहीं बदली हैं, लेकिन, एशिया महाद्वीप में भारत-पाकिस्तान के बीच के संबंधों में दुश्मनी का लाभ पहले इंग्लैंड ने लिया और अब China ले रहा है। क्योंकि, वर्तमान में विश्व के बाज़ार में राजनैतिक और कूटनीतिक स्तर पर China को केवल भारत ही टक्कर देता आ रहा है।

अमेरिका की दोहरी भूमिका और युद्ध मुनाफा

अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान कि, वो भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ हैं वगैरा वगैरा जैसे बयान के बारीकी से समझने की ज़रूरत है। किन्हीं भी दो देशों की जंग में US जैसे हथियार बेचने वाले अन्य मुल्कों की चांदी ही चांदी होती है, ये तथ्य तो किसी से भी छिपा नहीं है।

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पाकिस्तान का दोहरा खेल: हथियार और कॉरिडोर

पाकिस्तान के पास US के F-16 तो China के J सीरीज के युद्ध विमान हैं। इसके अलावा गौरी, शाहीन जैसी मिसाइलों की लॉन्चिंग के लिए इन दोनों मुल्कों को पाकिस्तान से आर्थिक लाभ तो होगा ही, यदि अर्थ लाभ में कमी हुई तो वो दोनों मुल्क अपने लिए अपने व्यावसायिक मंसूबे पूरे करने के लिए रास्ता यानी वैश्विक कॉरिडोर भी भारत-पाकिस्तान के बीच के विवादित क्षेत्र से निकाल सकते हैं।

ब्रिटिश काल से जारी विघटन की रणनीति

1930 के बाद से ही भारत देश को कई हिस्सों में तोड़ने की ख़ातिर planning की जाती रही थी। खुद के भविष्य के फायदों के मद्देनज़र British हुकूमत ने भारत-पाकिस्तान के अस्तित्व में लाए जाने की बड़े स्तर पर ऐसी नींव रख दी थी, जो 1947 सहित आगे के वर्षों में भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के तौर पर फलीभूत भी हुई।

राजनीति और दुश्मनी: दोनों ओर रोटियां सेंकते नेता

भारत में होने वाले हर चुनाव में जहां पाकिस्तान को तबियत से जिम्मेदार करार देते हुए कोसा जाकर votes इकट्ठा किये जाते हैं, वहीं पाकिस्तान में होने वाले हर चुनाव में पाकिस्तानी राजनैतिक दल भारत को लानत भेजकर ही वोट का जुगाड़ करते हैं। इसमें कुछ नया नहीं है।

क्या आतंकी हमले एक वैश्विक संदेश हैं?

यहां विशेष तौर पर लेख किया जा रहा है कि, भारत में पुलवामा, पहलगाम जैसे हमलों का specific time देखिए। इन हमलों के दौरान यकीनन US या किसी प्रभावशाली देश का बड़ा नेता भारत की सरजमीं पर मौजूद रहा था… क्या US के किसी राजनैतिक व्यक्ति की भारत में मौजूदगी होने पर ऐसे हमले करवाने की हिम्मत पाकिस्तान की हो सकती है?

युद्ध का उत्तर? ताकत या रणनीति

In short – भारत की युद्ध क्षमता और कौशल के अलावा विकसित युद्ध प्रणाली के सामने पाकिस्तान कहीं नहीं ठहर पाएगा। लेकिन, युद्ध होने की दशा में तबाही और बर्बादी की एक और दास्तान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगी।

Mastermind तक क्यों नहीं पहुंचते हम?

हर बार के आतंकी हमलों के बाद जहां भारत के कई जांबाज़ अधिकारी, सैन्य अधिकारी शहीद हो जाते हैं, उनकी शहादत के बदले हम केवल उन पर हमला करने वाले पिद्दी हमलावरों को ही मार पाते हैं, मूल और mastermind तक हम क्यों नहीं पहुँच पाते? ये आज भी यक्ष प्रश्न है।

सरकार की खामोशी: बड़े कदम की आहट?

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जहां मैं और मेरी तरह तमाम भारतीय दिल से चाहते हैं कि, दुश्मन मुल्क, आतंकियों को शरण देने वाले मुल्क का तुरंत ही पूरी तरह सफाया किया जाना चाहिए और इसके लिए ये सही मौका भी है। लेकिन, जिस खामोशी और धैर्य का परिचय मौजूदा सरकार ने दिया है, उसे देखकर लगता है कि वाकई सरकार कुछ बड़ा करने की राह पर अग्रसर है।

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