उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि अब राज्य के सभी स्कूलों में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ का गायन अनिवार्य होगा। गोरखपुर में ‘एकता यात्रा’ और सामूहिक वंदे मातरम कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने यह संदेश दिया कि — “वंदे मातरम का विरोध सिर्फ अनुचित नहीं, बल्कि देश को बांटने वाली सोच का प्रतीक है।” “वंदे मातरम का विरोध यानी नया जिन्ना तैयार करना” अपने तीखे अंदाज़ में योगी बोले — “यह वही लोग हैं जो सरदार पटेल की जयंती में…
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वंदे मातरम: मोदी- लक्ष्य असंभव नहीं, कांग्रेस बोली- RSS ने कभी गाया ही नहीं
दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में जब पूरा स्टेडियम “वंदे मातरम” से गूंज उठा, तो पीएम मोदी खुद भी सुर में सुर मिलाते दिखे। इस मौके पर उन्होंने 150वीं वर्षगांठ पर स्मारक स्टैम्प और सिक्का जारी किया और कहा – “वंदे मातरम एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक सपना है। ऐसा कोई संकल्प नहीं जो हम भारतीय पूरा न कर सकें।” ये कार्यक्रम अब सिर्फ एक दिन का नहीं — बल्कि 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक देशभर में सालभर का सेलिब्रेशन रहेगा। वंदे मातरम की…
Read More“Vande Mataram Controversy – 150 साल बाद भी विवाद ज़िंदा!”
भारत का राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” 150 साल का हो गया — देशभर में कार्यक्रम हुए, पीएम मोदी ने स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया, लेकिन मुंबई में इस गौरवमयी अवसर पर राजनीति का पुराना राग फिर बज उठा है। अबू आजमी का बयान – “वंदे मातरम नहीं बोलेंगे मुसलमान” समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा — “कोई मुझसे वंदे मातरम नहीं बुलवा सकता। मुसलमान सूरज या जमीन की पूजा नहीं करता, इस्लाम में सिर्फ अल्लाह की इबादत होती है।” उन्होंने यह भी कहा कि “जैसे आप…
Read Moreब्रिटिश नहीं रोक पाए वंदे मातरम… कांग्रेस ने कर दिखाया!” – मोदी का तंज
देशभर में आज सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया — और मंच पर थे वही, जो हमेशा unity की बात सबसे ज़ोर से करते हैं — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।केवड़िया में Statue of Unity के पास मोदी ने न सिर्फ श्रद्धांजलि दी, बल्कि राजनीति की स्टैच्यू को भी हिला दिया। “धारा 370 की बेड़ियां तोड़ दीं, अब कोई आंख दिखाए तो घर में घुसकर मारते हैं” पीएम मोदी ने कहा कि कश्मीर अब पूरी तरह मुख्यधारा में है, और दुनिया देख चुकी है कि “भारत अगर ठान…
Read Moreआनंद मठ (1952) रेट्रो रिव्यू: संन्यासियों का विद्रोह और ‘वंदे मातरम्’ की गूंज
1952 की ऐतिहासिक फिल्म ‘आनंद मठ’ को सिर्फ एक “क्लासिक फिल्म” कहना उसके साथ अन्याय होगा। यह फिल्म एक धार्मिक-सांस्कृतिक क्रांति की सिनेमाई व्याख्या है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध बंगाली उपन्यास पर आधारित यह फिल्म संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि में आज़ादी की चिंगारी को एक नया चेहरा देती है। और हां, इसमें ‘साधु-संत’ सिर्फ प्रवचन नहीं, क्रांति का नेतृत्व करते हैं। रेट्रो सिनेमा के लिए इससे ज़्यादा metal कुछ नहीं हो सकता। कहानी में तप और ताव दोनों 18वीं शताब्दी का बंगाल। भूख, भय और फिरंगियों का आतंक। ऐसे…
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