जब Notes हो भारी और जेब हो खाली, तो मैगी बनती है UPSC की रानी!

UPSC की तैयारी एक तपस्या है – जिसमें किताबें जलती हैं, नींद उड़ती है और दिमाग हर सवाल पर घूमता है। पर इस तपस्या के बीच एक चीज़ है जो कभी syllabus में नहीं आती, फिर भी हर aspirant के टाइमटेबल में फिट बैठती है – मैगी। जब कमरे में करंट नहीं होता, मंथली बजट कब का उड़ चुका होता और माइंड में सिर्फ Mains के मॉड्यूल नाच रहे होते हैं – तब वही सस्ती, स्वादिष्ट, “2 मिनट वाली झूठी मगर प्यारी” मैगी, लाइफ की सबसे बड़ी मोटिवेशन बन जाती है। क्योंकि जहां कुछ भी तय नहीं होता, वहां एक चीज़ तय होती है – “भूख लगेगी तो मैगी ही बनेगी!”

UPSC के नोट्स जितने मोटे हों, मैगी के पैकेट उतने ही पतले लगते हैं। जब सर लोग बोले, “Economy needs stimulus”, तो हर एस्पिरेंट ने खुद को मैगी से ही स्टिमुलेट किया।

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रूम, रोटियाँ और रसोई की रानी: मैगी

PG या हॉस्टल के छोटे से कमरे में—

  • जब बिजली जाती है

  • जब बजट खिसक जाता है

  • जब आलस जीत जाता है
    तब आती है हमारी “संघ लोक सेवा मैगी”, जो न सिर्फ भूख मिटाती है, बल्कि दिल को भी “Attempt again” कहती है।

नोट्स में करंट अफेयर्स हो या कुकर में पानी—मैगी पक्की है

  • Ethics में dilemma हो या रसोई में टमाटर ना हों, मैगी अपना रास्ता खुद बना लेती है।

  • “Policy paralysis” जब खाने पर हो, तो मैगी सबसे मजबूत प्लानिंग कमीशन बन जाती है।

  • और हाँ, ‘test series के बाद best theories’ भी मैगी खाते हुए ही बनती हैं!

मैगी के 2 मिनट और प्रीलिम्स के 2 घंटे – दोनों भरोसे के नहीं

कभी मैगी 2 मिनट में पकती नहीं, और कभी Prelims 2 घंटे में समझ ही नहीं आता। फिर भी दोनों बार आखिरी उम्मीद मैगी ही होती है।
टेस्ट में जब D सारे ऑप्शन सही लगें, तो मैगी एकमात्र चीज है जो confusion-free रहती है।

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रोमांस? छोड़िए, मैगी ही सच्चा साथी है

कई एस्पिरेंट्स ने रिलेशनशिप छोड़े, कई ने Netflix छोड़ा… पर किसी ने मैगी नहीं छोड़ी। क्योंकि जो मैगी के मसाले में इमोशन समझता है, वही एथिक्स में case study भी समझता है।

इंटरव्यू में पूछ लें “हॉबी क्या है?”— कह दो “मैगी पकाना”

  • Innovation दिखाना है? Maggi + आलू + अचार

  • Crisis management? बिना सब्ज़ी के बनाना

  • Stress handling? Saltless भी खा लेना

यह सब UPSC की सिलेबस में नहीं, पर ज़िंदगी की स्किल्स में काम आता है।

मैगी ने सिखाया कि— जिंदगी में हर चीज़ का हल 2 मिनट में नहीं मिलता, पर शुरुआत ज़रूर हो सकती है। और जहां आशा हो, वहां एक चम्मच मैगी ज़रूरी है।

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