
केंद्र सरकार द्वारा अगली जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल करने के फैसले पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि यह विपक्ष और सामाजिक न्याय के पक्षधर दलों की जीत है। तेजस्वी यादव ने इसे “हमारे एजेंडे की जीत” बताया।
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तेजस्वी ने कहा,
“जब हम जातिगत जनगणना की बात कर रहे थे, तब सरकार इसका विरोध कर रही थी। प्रधानमंत्री ने इससे इनकार किया था, संसद में उनके मंत्री भी विरोध कर रहे थे। अब वही सरकार हमारी मांग मानने पर मजबूर हो गई है।“
आबादी के अनुपात में भागीदारी
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि
“अब हमारी मांग है कि जातिगत जनगणना के नतीजों के आधार पर लोकसभा और विधानसभा की सीटों पर भी पिछड़े और अति पिछड़ों को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण दिया जाए।“
तेजस्वी का मानना है कि यह सिर्फ आंकड़ों की गणना नहीं बल्कि समाजिक और राजनीतिक हिस्सेदारी की दिशा में एक बड़ा कदम है।
परिसीमन के बाद आरक्षण की मांग
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि
“जब जनगणना के आंकड़े सामने आएंगे और परिसीमन होगा, तो लोकसभा और विधानसभाओं में पिछड़े वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुसार सीट आरक्षित करनी ही होंगी।“
वह इस मुद्दे को आने वाले चुनावों में राजनीतिक आंदोलन का रूप देने की तैयारी में हैं।
सरकार की घोषणा
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि
“भारत सरकार ने अगली जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल करने का निर्णय लिया है।“
यह कदम बिहार सहित कई राज्यों में हुए राज्य स्तरीय जातीय सर्वेक्षणों के बाद लिया गया है।
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जातिगत जनगणना का मुद्दा लंबे समय से राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों के बीच चर्चा का विषय रहा है।
अब जब केंद्र सरकार ने इस पर सहमति दी है, तो इसकी राजनीतिक और सामाजिक दिशा दोनों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
तेजस्वी यादव जैसे नेता इसे सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व से जोड़कर भविष्य की राजनीति की नई राह बना रहे हैं।