
यह सोचना कि महिलाओं को वेट ट्रेनिंग नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे वे मर्द जैसी दिखने लगेंगी—एक बिल्कुल गलत और वैज्ञानिक रूप से निराधार सोच है। महिलाओं और पुरुषों के हार्मोनल प्रोफाइल में बड़ा अंतर होता है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन ज्यादा होता है जो मसल्स तेजी से बनाता है, लेकिन महिलाओं में इसकी मात्रा बहुत कम होती है। इस कारण महिलाएं बॉडीबिल्डर जैसी नहीं दिख सकतीं जब तक वे अत्यधिक डोज़ न लें।
पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच कैसे रहें साइबर सेफ? हैकरों से बचने के जरूरी टिप्स
सच्चाई: वेट ट्रेनिंग महिलाओं के लिए एक वरदान है
इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार
वेट ट्रेनिंग से ब्लड शुगर बेहतर तरीके से नियंत्रित होता है, जो डायबिटीज़ और पीसीओडी जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है।
थायरॉइड फ़ंक्शन में सुधार
वजन उठाने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और थायरॉइड के लक्षणों में कमी आती है।
हड्डियां और जोड़ मजबूत होते हैं
बढ़ती उम्र में हड्डियों का घनत्व कम होता है। वेट ट्रेनिंग ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस से बचाव करती है।
बेहतर बॉडी शेप और फैट लॉस
कार्डियो से सिर्फ कैलोरी बर्न होती है, लेकिन वेट ट्रेनिंग से मसल्स बनती हैं, जिससे शरीर का शेप खूबसूरत होता है और फैट लॉस ज्यादा प्रभावी होता है।
मसल्स की ताकत से जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है
दिल, फेफड़े, पाचन तंत्र सभी जगह मसल्स का रोल है। मसल्स स्ट्रॉन्ग होंगी तो आपकी ऊर्जा, संतुलन और आत्मनिर्भरता बनी रहेगी।
50 की उम्र के बाद महिलाओं को क्यों ज़रूरी है वेट ट्रेनिंग?
-
जोड़ों के दर्द में राहत
-
गिरने का जोखिम कम
-
बैलेंस और स्टेबिलिटी में सुधार
-
मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर
-
रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोनल बैलेंस बेहतर
वेट ट्रेनिंग से डरना नहीं, समझदारी से अपनाना चाहिए
यदि आप एक महिला हैं, और आप अपनी सेहत, फिगर, ऊर्जा और लंबी उम्र की चाहत रखती हैं, तो वेट ट्रेनिंग शुरू करना आज से ही आपकी सबसे बड़ी हेल्थ इन्वेस्टमेंट हो सकती है। शुरुआत हल्के वज़न और प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में करें।
औरतों के लिए वेट ट्रेनिंग, मजबूरी नहीं – ज़रूरत है
वेट ट्रेनिंग से महिलाएं “मर्द जैसी” नहीं बनतीं, बल्कि वो स्वस्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर बनती हैं। यह मिथक तोड़ना समाज के लिए भी जरूरी है।
पहलगाम आतंकी हमला: सोशल मीडिया पर दुख, गुस्सा और संयम की पुकार