शैतान सिंह तैयार, बारात तैयार, शादी की ड्रेस तैयार… बस बॉर्डर ही बंद है!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते वैसे ही तल्ख़ हैं जैसे बिना नमक की दाल — न निगले बने, न उगले! इसी कड़ी में भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए पांच बड़े फैसले लिए हैं, और उन्हीं में से एक फैसला था वाघा और अटारी बॉर्डर को बंद करना। अब आप सोच रहे होंगे, इससे आतंकियों को फर्क पड़े न पड़े, राजस्थान के शैतान सिंह की तो पूरी शादी ही अटक गई!

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शादी के बदले मिली ‘सीमा’ की सजा

चार साल पहले शैतान सिंह की सगाई पाकिस्तान के सिंध प्रांत की केसर कंवर से हुई थी। कई सालों के वीजा संघर्ष, सरकारी दफ्तरों के चक्कर और रिश्तेदारों की सलाह-मशविरों के बाद आखिरकार 18 फरवरी को वीजा मिल ही गया।

बारात ने 30 अप्रैल को अमरकोट, पाकिस्तान की ओर रवाना होना था। सबकुछ रेडी था: घोड़ी, ढोल, नाचने वाले चाचा, और शैतान सिंह की शानदार शेरवानी।

लेकिन जैसे ही बारात अटारी बॉर्डर पहुँची — ऑफिसर बोले, “सीमा बंद है, लौटो!” कह सकते हैं, बारात निकली थी शादी रचाने, पर बॉर्डर ने करवा दी “घर वापसी”।

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दुखी दूल्हा

शैतान सिंह बोले, “इतने सालों से इंतज़ार किया था। इतने पेपर भरे, पापा भी वीजा में उम्र से बूढ़े हो गए… और अब ये!” उनके भाई सुरेन्द्र सिंह बोले, “पाकिस्तान से रिश्तेदार आए थे, उन्हें भी वापस जाना पड़ा। ये तो सरहद की साजिश लगती है!”

राजनीति की शिकार मोहब्बत

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि आतंकवाद का असर सिर्फ सीमा पर गोलियों तक सीमित नहीं, यह शादियों, रिश्तों और दिलों पर भी पड़ता है। अब इस शादी का क्या होगा? क्या वीजा फिर मिलेगा? क्या अटारी बॉर्डर खुलेगा?
या फिर अगली बार दूल्हा हेलिकॉप्टर लेकर जाएगा?

जहां एक तरफ पहलगाम हमला देश के सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठाता है, वहीं दूसरी तरफ इसकी मार आम लोगों की निजी ज़िंदगी तक पहुंच चुकी है। शैतान सिंह की अधूरी शादी सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि सीमा की राजनीति में फंसी आम जनता की हकीकत है।

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