
भसड़ यानी “जहाँ कोई बात शुरू हो और फिर बात नहीं बचती।” भारत की गलियों, कॉलेज कैंपसों, न्यूज डिबेट्स, व्हाट्सएप ग्रुप और संसद के गलियारे तक — भसड़ एक राष्ट्रीय भावना है। आपने कभी सुना होगा:
“तू चुप रह, यहाँ भसड़ मत कर।”
“यार, मीटिंग में भसड़ मच गई।”
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भसड़ की परिभाषा:
भसड़ = बहस × बवाल ÷ उद्देश्य
जहाँ कोई मुद्दा इतना बिगड़ जाए कि लोग आपस में ही टूट पड़ें और मूल विषय कब का हवा हो जाए — वही है भसड़। ये सामाजिक, राजनीतिक, डिजिटल या घरेलू कहीं भी हो सकती है।
भसड़ फैलाने के प्रमुख विभाग:
कमेंट सेक्शन विभाग (YouTube/FB):
दो शब्द बोलो — “बॉलीवुड” और “बायकॉट” — 400 कमेंट्स में भसड़ तय।
पारिवारिक व्हाट्सएप ग्रुप विभाग:
ताऊ जी बोले “मोदी महान हैं”
फुफा जी बोले “अबे चुप रहो”
और… भसड़ आरंभ।
राजनीति विभाग:
कोई भी पार्टी कुछ भी बोले — विपक्ष बोलेगा: “झूठ!”
और फिर… लोकतांत्रिक भसड़।
कॉलेज कैंपस विभाग:
मैगी के मसाले से लेकर कश्मीर नीति तक — हर विषय में ज्ञान और भसड़ बराबर बाँटा जाता है।
भसड़ फैलाने के संकेत:
कोई कहे “असल बात ये है…”
फिर कोई बोले “तू चुप रह, तुझे क्या पता।”
फिर तीसरा बोले “दोनों बेकार हैं…”
यानी… Ready, Set, Bhasad!
भसड़ और भारत का गहरा रिश्ता:
भारत में भसड़ GST की तरह है — हर चीज़ पर लागू होती है।
शादी तय हो या दहेज का विरोध
मंदिर-मस्जिद हो या बुलेट ट्रेन
क्रिकेट की हार हो या कपिल शर्मा का मज़ाक
हर जगह भसड़ लगेगी, चाहे सब्जी ₹60 किलो क्यों न हो जाए।
भसड़ का साइड इफेक्ट:
मुद्दा गायब
समय बर्बाद
रिश्ते खराब
लेकिन मीम्स ज़बरदस्त!
भसड़ से कैसे बचें?
नहीं बच सकते, भारतीय हैं। लेकिन आप “हम्म…” कहकर खुद को भसड़ निरपेक्ष ज़रूर घोषित कर सकते हैं।
“भसड़” भारत की नॉन-ऑफिशियल राष्ट्रीय गतिविधि है। हमारे यहाँ बिना भसड़ के मुद्दा अधूरा लगता है। सो, अगली बार जब कोई कहे “तू चुप रह” — समझ जाइए… भसड़ शुरू हो गई है।
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