पाक की डिजिटल जिहाद: Alpine Quest ऐप से पहलगाम तक आतंकी पहुंच

यतीश कुकरेती
यतीश कुकरेती

जब हम सोचते हैं कि आतंकवाद AK-47 और ग्रेनेड तक सीमित है, तब पाकिस्तान अपनी नई फैक्ट्री से “डिजिटल जिहाद” का लेटेस्ट मॉडल निकाल लाता है –इस बार नाम है – Alpine Quest। यह ऐप मूल रूप से हाइकर्स और ट्रेकर्स के लिए बना था,लेकिन जब ISI की आंख इसपर पड़ी, तो बना दिया गया ‘टेरर-नेविगेशन सिस्टम’।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तानी सेना ने इसे कस्टमाइज करवाया,आतंकियों को बॉर्डर पार ट्रेनिंग दी गई और फिर “ऑफलाइन GPS” की मदद से भारत में ऑनलाइन नरसंहार करवा दिया गया।

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 क्या करता है Alpine Quest?

इंटरनेट न हो, तब भी मैप चलता है। जंगलों, घाटियों, पहाड़ों के रास्ते दिखाता है। यूज़र खुद के लिए रूट प्लान कर सकता है। भारत की डिजिटल निगरानी से बच निकलने का ‘सॉफ्टवेयर हथियार’। ये ऐप बन गया है आतंकवादियों के लिए नया “डिजिटल कम्पास”, जो उन्हें सीधे निर्दोष नागरिकों के माथे तक पहुंचा देता है।

पहलगाम में मौतें, 1 ऐप – और पाक की ‘टेक्निकल टेररिज्म’

इस हमले में बेगुनाहों की हत्या, और एक मासूम को उसके पिता की लाश के पास तड़पते देखा गया। ये कोई आम गोलीबारी नहीं थी, ये एक सुनियोजित साइबर-सहयोगी आतंक हमला था, जिसकी योजना ISI और लश्कर के डिजिटल डिपार्टमेंट ने बनाई थी।

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नतीजा क्या निकला?

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पाकिस्तानी उच्चायोग के स्टाफ की संख्या घटाई

वीज़ा देने पर सख्ती बढ़ी

लेकिन क्या ये डिजिटल जिहाद को रोक पाएगा?

Alpine Quest की ‘नेविगेशन’ अब केवल ट्रेकिंग तक सीमित नहीं है, यह पाकिस्तान की नई डार्क वेब डिप्लोमेसी का हिस्सा है –जहां नक्शे रचे जाते हैं आतंकवाद के,जहां रूट बनते हैं मासूमों की मौत के।और अगर अब भी हम ‘मॉडरेट बनाम कट्टर’ की बहस में उलझे रह गए –
तो अगली बार कोई नया ऐप,किसी नई घाटी में नए शवों की कतार बनाकर हमें फिर झकझोर देगा।

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