
पहलगाम हमले के बाद जहां पूरा देश गुस्से में है, वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी अपनी तल्ख ज़ुबान के साथ सामने आए। उन्होंने आतंकियों को ‘कुत्ता’ कहा और साफ़ शब्दों में कहा कि –“जिन लोगों ने ये हमला किया है, वे इंसान नहीं हैं। जो इनके आका हैं, वे कश्मीर और हिंदुस्तान में अमन नहीं चाहते। उन्हें सबक सिखाना चाहिए – जुबान से नहीं, एक्शन से।”
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इस बार ओवैसी की आलोचना का केंद्र पाकिस्तान भी बना, जहां उन्होंने एक नई शब्दावली गढ़ दी – “पाकिस्तान में बैठे कमीन खुश हो रहे होंगे।”
“कलमा से बचा लिया” की हेडलाइन पर तीखा सवाल
ओवैसी ने उन रिपोर्ट्स पर भी जमकर गुस्सा जाहिर किया जिनमें कहा गया कि किसी यात्री ने ‘कलमा पढ़कर’ जान बचा ली।
उनका सवाल था – क्या ऐसे हेडलाइंस से भारत की सांप्रदायिक एकता मजबूत होगी या पाकिस्तान में बैठे “शैतान” हंसेंगे?” उन्होंने जोड़ दिया कि अगर आतंकवादियों ने सबसे ज्यादा किसी को मारा है तो वो हैं कश्मीरी मुसलमान।
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तेलंगाना से आतंकवाद के खिलाफ संदेश
ओवैसी ने यह भी ऐलान किया कि 25 अप्रैल को तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी एक कैंडल मार्च निकालेंगे, और अपील की कि इसमें बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लें। ये एक सकारात्मक संदेश है – कि राजनीति से ऊपर उठकर आतंकवाद के खिलाफ एकता की ज़रूरत है।
ओवैसी इस बार ना केवल भावनाओं में बोले, बल्कि तेज़-तर्रार शब्दों से आतंक और मजहबी विभाजन दोनों पर वार किया।
उनके बयान की गूंज चाहे जैसी भी हो, लेकिन उनका एक वाक्य आज हर भारतीय के मन में गूंजता है –
“जो कुत्ते आतंक फैला रहे हैं, उन्हें जुबान से नहीं – एक्शन से जवाब देना चाहिए।“