आत्मघाती बम पहनकर पाकिस्तान जाने को तैयार कर्नाटक के मंत्री ज़मीर अहमद खान

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के माहौल में कर्नाटक सरकार के मंत्री बी. ज़ेड. ज़मीर अहमद खान ने एक चौंकाने वाला बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह आत्मघाती बम पहनकर पाकिस्तान जाने को भी तैयार हैं।

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“प्रधानमंत्री और गृह मंत्री आत्मघाती बम दें, मैं जाऊंगा पाकिस्तान”

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए ज़मीर अहमद खान ने कहा:

“हम भारतीय हैं, हिंदुस्तानी हैं, और पाकिस्तान से हमारा कोई रिश्ता नहीं है। अगर देश को मेरी जरूरत है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह मुझे आत्मघाती बम दें, मैं उसे पहनकर पाकिस्तान जाऊंगा। यह मजाक नहीं है, मैं गंभीर हूं।”

उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध की स्थिति में वह अग्रिम मोर्चे पर लड़ने को तैयार हैं और मंत्री पद की परवाह नहीं करते।

राजनीतिक हलकों में हलचल, सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

ज़मीर अहमद का यह बयान राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने इसे “बचकाना” और “खतरनाक बयानबाजी” करार दिया है। वहीं, कुछ लोगों ने इसे देशभक्ति की भावना कहकर समर्थन भी दिया।

बयान ऐसे समय आया जब सिद्धारमैया युद्ध के खिलाफ बोले थे

यह टिप्पणी उस समय आई है जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री और ज़मीर अहमद के पार्टी सहयोगी सिद्धारमैया ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ना चाहिए।
22 अप्रैल को उन्होंने कहा था:

“हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। केंद्र सरकार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू करनी चाहिए ताकि शांति बनी रहे और लोग सुरक्षित महसूस करें।”

बीजेपी ने किया कांग्रेस पर हमला

बीजेपी नेताओं ने ज़मीर अहमद के बयान पर कांग्रेस नेतृत्व को घेरा है। पार्टी ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस के मुख्यमंत्री युद्ध से इनकार करते हैं और दूसरी तरफ उनका मंत्री आत्मघाती हमले की बात करता है – यह पार्टी की “विचारधारा में दोहरापन” दिखाता है।

जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति से संयम अपेक्षित

राजनीति और सुरक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी असंवेदनशील और उकसाऊ भाषा की अपेक्षा नहीं की जाती। बयान चाहे भावनात्मक हो या राजनीतिक, इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।

बहस का विषय, लेकिन सवाल जिम्मेदारी का

ज़मीर अहमद खान का यह बयान उनकी व्यक्तिगत भावना हो सकती है, लेकिन जिस मंच से और जिस भूमिका में उन्होंने यह बात कही है, वह उसे सिर्फ व्यक्तिगत नहीं रहने देता।
यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या नेताओं को सार्वजनिक मंचों पर बोलते समय अधिक जिम्मेदारी और संतुलन नहीं दिखाना चाहिए?

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