कुर्सी का ‘कुंडली मिलान’ : जोगी जी अगर बीजेपी अध्यक्ष बने, तो कौन होगा अगला CM?

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

अगर योगी जी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते हैं, तो सवाल उठेगा – “अब यूपी का अगला ‘ठोकने वाला’ कौन?” क्योंकि योगी मॉडल के बाद यूपी की जनता किसी ‘पावभाजी’ वाले मुख्यमंत्री को नहीं, ‘गरम-गरम लौह-प्लेट’ वाले लीडर की तलाश में रहेगी।

हमने कुछ संभावित नामों की लिस्ट तैयार की है, नोश फरमाइए 

जब Notes हो भारी और जेब हो खाली, तो मैगी बनती है UPSC की रानी!

केशव प्रसाद मौर्य  कह रहे हैं , “2017 से इंतज़ार कर रहा हूँ, भगवान अब तो नंबर दो!”
इनका प्लस पॉइंट – धैर्य शिवलिंग जैसा 
इनका माइनस – जनता हर चुनाव में भूल जाती है

बृजेश पाठक कह रहे हैं , “सिर्फ डिप्टी नहीं, अब पूरी डिश चाहिए!”
इनका प्लस – ब्राह्मण फैक्टर + ठीक-ठाक बाइट्स
इनका माइनस – योगी ब्रांड के आगे उनकी ब्रांडिंग Low Fat जैसी

दिनेश शर्मा कह रहे हैं , “शांत स्वभाव, साइलेंट स्ट्राइकर हूं ” 
इनका प्लस – क्लीन इमेज
इनका माइनस – जनता बोले: “कौन शर्मा?”

स्वतंत्र देव सिंह कह रहे हैं, “बुंदेलखंड की धूल से दिल्ली की धूप तक देख चुका !”
इनका प्लस – संगठन का अनुभव
इनका माइनस – टेम्परामेंट थोड़ा ज़्यादा ‘on the rocks’

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गोरखपुर, मंदिर से मेगा सिटी बनने की राह पर

AK शर्मा (IAS से BJP तक) का कहना है कि “फाइलों से फील्ड तक – और अब फाइनली कुर्सी?”
इनका प्लस – मोदी जी के बेहद करीबी
इनका माइनस – जनता में फिलहाल ‘unknown caller’

बीजेपी के लिए चुनौती – योगी मॉडल का रिप्लेसमेंट कौन?

योगी जी ने यूपी की राजनीति को अपराध-मुक्त नहीं तो अपराध-संतुलित ज़रूर बना दिया। अब अगर वो “कमल के अध्यक्ष” बनते हैं, तो यूपी में ‘कमलनाथ नहीं, कमालनाथ’ चाहिए – जो: ‘ठोक दो’ पॉलिसी को सॉफ्टवेयर अपडेट कर सके, जनता के बीच साइलेंट सिंपैथी बना सके, और हां… माफिया को Google Maps से भी गायब कर सके।

नागपुर की चाल: चेहरे से ज्यादा, चाल जरूरी

आरएसएस के लिए यूपी एक रणनीतिक शिविर है। चेहरा कोई भी हो, लेकिन चाल वही होगी – “संघ से जुड़ा”, “दिल्ली से synced”, और “2029 के मिशन मोदी के लिए पूरी तरह योग्य”

कुर्सी तो घूमेगी, पर सीट बेल्ट बांध लो – शो शुरू होने वाला है!

अगर योगी जी दिल्ली चले जाते हैं, तो लखनऊ में सियासी म्यूज़िकल चेयर चालू होगी। जनता टकटकी लगाए देखेगी कि अब ‘अगला सीएम – कड़क चाय जैसा होगा या ठंडी छाछ जैसा?’

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