
पाकिस्तान एक बार फिर IMF से अरबों डॉलर का उधार लेकर बच गया है। लेकिन इस राहत पैकेज से पहले और बाद में जो “परमाणु धमकियों” की गूंज सुनाई दी — उसने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
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“क्या अब वैश्विक संस्थाएं भी ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ के आगे झुकने लगी हैं?”
क्या कहा पाकिस्तान ने?
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भारत की ओर से आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चाएं फिर गरम हुईं।
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तभी पाकिस्तान ने दोहराया – “परमाणु हमला कर देंगे।”
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सोशल मीडिया पर सरकारी प्रवक्ताओं और रिटायर्ड जनरलों ने खुलेआम न्यूक्लियर थ्रेट देनी शुरू की।
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और फिर चमत्कारिक रूप से IMF से लोन अप्रूव हो गया।
IMF से राहत – लेकिन किस कीमत पर?
IMF ने पाकिस्तान को राहत तो दी,
पर साथ में कई सवाल भी छोड़ दिए:
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क्या IMF वास्तव में दबाव में आ गया?
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क्या परमाणु बटन दिखाकर कोई देश अब भी विश्व बैंकिंग सिस्टम को ब्लैकमेल कर सकता है?
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आतंक की फैक्ट्री चलाने वाले को डॉलर की फैक्ट्री भी मिलती रहेगी?
भारत की चुप्पी – सोच से रणनीति तक?
भारत इस पूरे मामले में शांत लेकिन सजग दिखाई दे रहा है। कूटनीतिक रूप से वह पहले ही दुनिया को पाकिस्तान की आतंकी प्रवृत्तियों के बारे में सतर्क कर चुका है।
इस बार सवाल IMF से है — “क्या आप आतंकी राज्य को बचाने के लिए टैक्सपेयर्स का पैसा लगा रहे हैं?”
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पाकिस्तान – “अगर लोन नहीं मिला, तो न्यूक्लियर बटन दबा दूंगा।”
IMF – “लो बेटा, लोन ले लो… बटन मत दबाओ बस।”
लगता है पाकिस्तान अब “Udhaaristan” से सीधा “NuclearNagar” बनना चाहता है। जहां बाकी देश व्यापार करके कमाते हैं, पाकिस्तान धमकी देकर कमाता है।