सीमा पर गरमी, दिल्ली में रणनीति – राजनाथ सिंह की बड़ी बैठक

अजमल शाह
अजमल शाह

पाकिस्तान और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बीच शुक्रवार, 9 मई 2025 को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक आपात सुरक्षा बैठक बुलाई। नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में हुई इस बैठक में भारत की तीनों सेनाओं के प्रमुख, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और रक्षा सचिव शामिल रहे।

IMF आज करेगा पाकिस्तान के बेलआउट की समीक्षा, विश्वसनीयता दांव पर

बैठक का उद्देश्य था — पश्चिमी सीमा पर हालात की समीक्षा और सशस्त्र बलों की तैयारियों का मूल्यांकन।

बैठक में कौन-कौन थे शामिल?

  • जनरल अनिल चौहान – चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

  • जनरल उपेंद्र द्विवेदी – थल सेनाध्यक्ष

  • एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी – नौसेना प्रमुख

  • एयर चीफ मार्शल एपी सिंह – वायुसेना प्रमुख

  • राजेश कुमार सिंह – रक्षा सचिव

बैठक की तस्वीर रक्षा मंत्रालय ने @SpokespersonMoD हैंडल से साझा की, जिसमें सैन्य नेतृत्व की गंभीरता और रणनीतिक सजगता साफ झलकती है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तनाव, लेकिन भारत सतर्क

22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई की रात को पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों पर लक्षित हवाई हमले किए, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया।

भारत ने इस हमले को “गैर भड़काऊ, संतुलित और आतंक पर केंद्रित कार्रवाई” बताया और स्पष्ट किया कि पाकिस्तानी सेना को निशाना नहीं बनाया गया।

तनाव चरम पर, दोनो देशों के बीच हवाई हमले का दावा

जहां भारत ने ड्रोन और मिसाइल हमलों का आरोप पाकिस्तान पर लगाया, वहीं पाकिस्तान ने इन आरोपों को नकारा। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया और सेना की हरकतों से संकेत मिलता है कि इस बार मामला न सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा।

संदेश साफ है: भारत अपने नागरिकों की रक्षा के लिए हर कदम उठाने को तैयार

राजनाथ सिंह की यह उच्चस्तरीय बैठक भारत के रणनीतिक धैर्य और सैन्य तैयारियों का प्रतीक है। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन आतंक के खिलाफ किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

कूटनीतिक गंभीरता और सैन्य मुस्तैदी का मेल

भारत ने इस पूरे घटनाक्रम को नियंत्रित और संतुलित तरीके से संभाला है, लेकिन अब यह मामला IMF फंडिंग, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं और कूटनीतिक लामबंदी तक पहुंच गया है।

अब दुनिया देख रही है कि क्या पाकिस्तान आतंक के समर्थन की कीमत चुकाएगा, या फिर भारत ही बार-बार अपने नागरिकों को खोता रहेगा?

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