
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से सामने आए एक चौंकाने वाले मामले में, एक पाकिस्तानी महिला ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी कर ली और लगातार 9 वर्षों तक सेवा देती रही।
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खुलासा होने पर तत्काल बर्खास्तगी और वेतन वसूली
जैसे ही जांच में यह मामला उजागर हुआ, विभाग ने महिला को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही उसके द्वारा लिए गए पूरे वेतन की वसूली के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
पुलिस और खुफिया एजेंसियां हरकत में
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की 8 टीमें और खुफिया एजेंसियां अब महिला की तलाश में जुट गई हैं। उसकी पहचान, नागरिकता, प्रवेश प्रक्रिया और दस्तावेजों की हर पहलू से जांच की जा रही है।
कैसे इतने वर्षों तक चला फर्जीवाड़ा?
प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि इस धोखाधड़ी में और कौन-कौन शामिल थे, और ये सब किस तरह बिना पकड़े चलता रहा।
क्या इसमें भीतर से किसी की मदद मिली थी?
ये सवाल अब जांच के दायरे में हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
इस घटना ने सरकारी सिस्टम की जांच प्रक्रिया की खामियों को उजागर कर दिया है। एक विदेशी नागरिक का इतने लंबे समय तक सरकारी नौकरी में रहना न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज़ से खतरनाक है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी बड़ा उदाहरण है।
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बरेली की यह घटना यह साफ तौर पर दिखाती है कि दस्तावेजों की सख्त जांच और सत्यापन प्रक्रिया अब पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गई है।
सरकार और जनता दोनों को सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है।