
“बेटा, मोबाइल में कुछ आया था… कुछ नंबर बोले थे, बताना जरा।” हाँ जी! यही है भारत की असली साइबर फ्रंटलाइन: मम्मी जी का OTP आतंकवाद, पापा की पासवर्ड डायरी, और भाई का हर ऐप को ‘Allow All’।
अपनी बिटिया संभालती नहीं, दूसरों की जंचती नहीं, चाचियों से बचने के 7 चौचक तरीके
मम्मी और OTP: देश की सबसे बड़ी लीक एजेंसी
हमारे घर की मम्मी हर उस लिंक पर क्लिक करती हैं, जिसमें लिखा हो – “आपका राशन कार्ड कैंसल होने वाला है, तुरंत लिंक खोलें” और फिर OTP मांगने पर पूछती हैं –
“बेटा, तुम्हारे नाम से कुछ आया है, एक नंबर भेजा है किसी रमेश नाम के आदमी ने।”
पापा और पासवर्ड: जिनको लगता है कि ‘abcd1234’ बहुत यूनिक है
पापा के पास एक पुरानी डायरी है, जिसमें लिखा है: Gmail – पासवर्ड: 1234567890, नेटबैंकिंग – पासवर्ड: RadhaKrishna@1990, ATM – पिन: 0000 और उसे वो मंदिर के पीछे वाली अलमारी में रखते हैं, “जहां कोई नहीं जाता”।
चाची का WhatsApp: देश की सबसे तेज़ न्यूज एजेंसी
हर सुबह घर की चाचियाँ “Breaking News” देती हैं, “देखो, पाकिस्तान से मैसेज आ रहा है – ‘भारत सरकार ने हर नागरिक को 1 लाख दे दिए हैं, लिंक खोलो’!” और फिर… चाची पूरे मोहल्ले को वो लिंक भेज देती हैं, जिनमें से आधे अब क्रिप्टो में फंसे हुए हैं।
तो करें क्या?
1. OTP का मतलब: Only Tell Personally (मम्मी को समझाइए)
OTP सिर्फ खुद के लिए होता है। दूधवाले, पड़ोसी और पंडितजी के लिए नहीं।
2. पासवर्ड की डायरी का हवन करें
पासवर्ड डायरी जला दीजिए। एक मजबूत पासवर्ड बनाएं और उसे मैनेजर ऐप में रखें।
3. WhatsApp University से निकलें
हर लिंक पे क्लिक न करें। ‘Forwarded Many Times’ मतलब खतरे की घंटी है।
4. Wi-Fi में लॉक लगाएं
खुले Wi-Fi से पड़ोसी की भतीजी PUBG खेलती है और Uncle जी Netflix। फिर बिल देख कर आंसू आते हैं।
साइबर सुरक्षा आज के जमाने की नई “चरखा योजना” है। जिस घर में ये नहीं, वहां ठगी निश्चित है। इसलिए डिजिटल देशभक्ति दिखाइए, अपने परिवार को “बटन नहीं – ब्रेन” से चलाना सिखाइए।
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