
लखनऊ में किरायेदारों की हालत अब LDA के रहमोकरम पर नहीं, बल्कि किराया कमर तोड़ो योजना पर निर्भर करती दिख रही है। एलडीए ने घोषणा की है कि अब से कॉर्नर में दुकान हो या भूतल पर मकान, किराया ऐसे बढ़ेगा जैसे चुनावी साल में वादे!
एलडीए बोले: “कोना तेरा, फायदा मेरा!”
एलडीए का नया फॉर्मूला सीधा है:
“जिसकी लोकेशन बढ़िया, उसकी जेब ढीली।”
मतलब अगर आपकी दुकान सड़क किनारे है, कोने पर है, और ग्राहक खुद चलकर आ जाते हैं — तो अब ग्राहक के साथ किराया भी दौड़ेगा!
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भूतल (Ground Floor) वालों को एलडीए ने साफ बता दिया है —
“नीचे हो, तो नीचे से ही भरोगे – पैसा!”
एक किरायेदार बोले:
“सड़क से ग्राहक घुसते हैं, अब लगता है LDA भी उसी दरवाज़े से घुस रहा है – सीधे किराया वसूलने!”
कहां-कहां बजेगा किराया-बम?
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अलीगंज
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चौक
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हजरतगंज
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कैसरबाग
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सआदतगंज
मतलब अब लखनऊ में गंज वालों की गंजई भी महंगी हो गई है।
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किरायेदारों की हालत ऐसी हो गई है जैसे शादीशुदा आदमी की ससुराल में –
“कुछ कह भी नहीं सकते, झेलना भी पड़ता है!”
LDA ने अब ‘विकास’ का मतलब बदल दिया है।
“विकास वो प्रक्रिया है जिसमें किरायेदार के आंसू, एलडीए की पॉलिसी में बदल दिए जाते हैं।”