
आजकल देशभक्ति और राष्ट्रवाद की हवा इस कदर चल रही है कि हर जगह सिर्फ एक ही शब्द सुनाई दे रहा है – राष्ट्रवाद। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रवाद का असली मतलब क्या है?
“बंदूकें ख़ामोश करो पाकिस्तान!” – उमर अब्दुल्ला का दो टूक बयान
सिर्फ तिरंगा लहराना या नारे लगाना ही राष्ट्रवाद नहीं है। असली राष्ट्रवाद तो तब दिखता है जब हम अपनी संस्कृति, नैतिकता और इंसानियत को बनाए रखते हुए अपने देश के लिए कुछ अच्छा करते हैं। यही असली हिंदुस्तानी होने की पहचान है।
आजकल सोशल मीडिया पर इस बारे में तरह-तरह की बातें हो रही हैं, और कभी-कभी यह इतना बढ़ जाता है कि लोग बिना सोचे-समझे केवल जोश में आकर किसी के खिलाफ बोलने लगते हैं। लेकिन क्या यह सही तरीका है?
हमें याद रखना चाहिए कि राष्ट्रवाद और नैतिकता दोनों का पालन एक साथ करना चाहिए। राष्ट्रवाद के उफान में नैतिकता को बचा कर रखना ही असली देशभक्ति है।
हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने देश और समाज के लिए अच्छे काम करें, किसी की निंदा करने से बचें, और यह दिखाएं कि असली राष्ट्रवादी वही हैं जो केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से भी अपने देश की सेवा करते हैं।