
16 दिसंबर 1971, दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण — 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाले। लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा के सामने घुटनों पर बैठा था पाकिस्तान का जनरल नियाज़ी।
RSS ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सेना, सरकार को सराहा
लेकिन तब भारत अकेला था।
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अमेरिका, चीन, अरब देश और श्रीलंका तक पाकिस्तान के साथ खड़े थे।
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अमेरिका ने तो परमाणु हथियारों से लैस 7वां बेड़ा बंगाल की खाड़ी में भेज दिया था।
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चीन ने बांग्लादेश को 1975 तक मान्यता तक नहीं दी।
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श्रीलंका ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को ईंधन दिया।
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सऊदी, जॉर्डन, लीबिया और ईरान ने पैसे और हथियार भेजे।
2025: वही पाकिस्तान, बदली दुनिया – अब भारत के साथ कौन-कौन?
2025 की स्थिति बिल्कुल उलट है। अब भारत अकेला नहीं, बल्कि विश्व की मुख्यधारा में खड़ा है।
अमेरिका – जहां 1971 में निक्सन-हेनरी किसिंजर भारत विरोधी थे, अब उपराष्ट्रपति जेडी वेंस साफ कह चुके हैं:
“This is none of our business.”
मतलब, अमेरिका अब पाकिस्तान की मदद नहीं करेगा।
रूस (पूर्व सोवियत संघ) – पहले भी भारत के साथ था, अब भी रणनीतिक साझेदारी गहरी है।
यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जापान – भारत के साथ रणनीतिक, सैन्य और व्यापारिक संबंध बेहतर हैं।
अरब देश – जहां कभी सऊदी और ईरान पाकिस्तान के साथ खड़े थे, अब भारत के ऊर्जा व निवेश सहयोगी हैं।
श्रीलंका – अब भारत की मदद पर निर्भर, चीन से कर्ज़ में दबा हुआ।
चीन: पाकिस्तान का आखिरी साथी, लेकिन भारत से भी है मजबूरी वाला रिश्ता
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चीन अब भी पाकिस्तान का “ऑल वेदर फ्रेंड” है, लेकिन हकीकत यह है कि
भारत के साथ चीन का व्यापार, पाकिस्तान से 10 गुना ज्यादा है।
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CPEC प्रोजेक्ट में अरबों डॉलर डूब चुके हैं, Baloch विद्रोह से परेशान है।
1971 बनाम 2025: अंतर साफ है
पहलू | 1971 | 2025 |
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अमेरिका | पाकिस्तान के साथ | न्यूट्रल/भारत से व्यापारिक सहयोग |
चीन | खुला समर्थन | रणनीतिक चुप्पी, आर्थिक मजबूरी |
रूस | भारत के साथ | भारत का रक्षा सहयोगी |
अरब देश | पाकिस्तान समर्थक | भारत के साथ निवेश और तेल व्यापार |
संयुक्त राष्ट्र | बांग्लादेश पर चीन का वीटो | भारत की भूमिका वैश्विक मंचों पर प्रभावशाली |
श्रीलंका | पाकिस्तान को बेस | भारत पर निर्भर |
अब भारत झुकता नहीं, जवाब देता है
1971 में भारत ने बांग्लादेश बनाकर दुनिया को चौंकाया था, 2025 में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से सबको जगा दिया है। अब कोई भारत को “घंटों बाहर बैठा” नहीं सकता। अब भारत इंतजार नहीं करता, एक्शन करता है। अब पाकिस्तान को साथ देने वाला कोई बेड़ा नहीं, सिर्फ बेड़ा गर्क़ है।