
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत पर आरोप लगाया कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद बिना किसी जांच के पाकिस्तान पर उंगली उठाई गई। उन्होंने कहा कि भारत ने सीमाएं बंद कीं, धमकियां दीं और एकतरफा प्रतिक्रिया दिखाई।
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सिंधु जल संधि पर तीखा बयान: “यह नदी नसों से होकर बहती है”
बिलावल ने कहा, “सिंधु नदी केवल हमारी भूमि से नहीं, बल्कि हमारी नसों से होकर बहती है।” भारत द्वारा जल संधि को निलंबित करने की धमकी को उन्होंने प्रकृति के खिलाफ अपराध बताया। उनके अनुसार, यह कदम लाखों लोगों की आजीविका पर संकट बन सकता है।
“सिंधु नदी शांति का प्रतीक है, हथियार नहीं”
उन्होंने कहा कि यह नदी किसी आदेश से नहीं, प्रकृति से बंधी है। सिंधु को हथियार बनाना दोनों देशों की संयुक्त विरासत और सभ्यता से विश्वासघात होगा।
सभ्यता की बात: “सिंधु नदी सिर्फ एक जलधारा नहीं”
बिलावल ने सिंधु घाटी सभ्यता का हवाला देते हुए कहा कि यह नदी हमारे अतीत की गवाही देती है। “यह वही नदी है जिससे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, और शुरुआती साम्राज्य जुड़े हैं।”
भारत को चेतावनी: “हमारी सहिष्णुता को कमजोरी न समझें”
उन्होंने भारत को दो टूक कहा कि पाकिस्तान डर में जीना नहीं जानता और उसकी सशस्त्र सेनाएं हर स्थिति के लिए तैयार हैं। “हमारा आसमान सुरक्षित है, हमारी सीमाएं मजबूत हैं और हमारी जनता एकजुट है।”
आतंकवाद पर साझा लड़ाई की अपील
बिलावल भुट्टो ने अंत में यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान को मिलकर आतंकवाद से लड़ना चाहिए, वरना आने वाली पीढ़ियां भी इसकी आग में जलती रहेंगी। उन्होंने कहा, “हमने अपने सैनिकों और बच्चों को खोया है, और दुनिया ने हमें भुला दिया है।”
पहलगाम हमले के बाद उपजे भारत-पाक तनाव और सिंधु जल संधि को लेकर बिलावल भुट्टो का यह बयान सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक मुद्दों को भी छूता है। यह देखना बाकी है कि भारत इसका क्या जवाब देता है।
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