
जब दुनिया हथियारों से घिरी है, तब इंसानियत एक वैन के रूप में ग़ज़ा की ओर बढ़ रही है। वो वैन है – पोपमोबाइल, जो एक समय पोप फ्रांसिस की शाही उपस्थिति का प्रतीक थी, और अब ग़ज़ा के घायल बचपन की जिंदगी बचाने की उम्मीद बन गई है।
सिंधु जल विवाद: बिलावल भुट्टो की चेतावनी और भारत पर तीखा हमला
वेटिकन से बेथलेहम तक: एक गाड़ी का कायाकल्प
साल 2014 में पोप फ्रांसिस जब बेथलेहम पहुंचे थे, तब हजारों लोग उनकी एक झलक पाने उमड़े थे। उसी यात्रा में इस्तेमाल की गई पोपमोबाइल अब अपनी सबसे पवित्र यात्रा पर निकली है – ग़ज़ा के पीड़ितों के जीवन को बचाने की यात्रा।
इस पहल की अगुवाई कर रही है कैरिटस चैरिटी संस्था, जो पोपमोबाइल को एक मोबाइल हेल्थ क्लिनिक में बदल रही है।
क्या-क्या होगा इस पोपमोबाइल-क्लिनिक में?
कैरिटस के मुताबिक इस मोबाइल क्लिनिक में मौजूद होंगी:
रेपिड टेस्ट किट्स
टीकाकरण और इंजेक्शन की सुविधा
ऑक्सीजन सपोर्ट
जीवन रक्षक दवाएं
दवाओं के लिए छोटा फ्रिज
यह पूरी व्यवस्था ग़ज़ा जैसे युद्धग्रस्त और संसाधन-विहीन इलाके में चलती-फिरती जिंदगी की सांस बनेगी।
पोप की आखिरी इच्छा: ग़ज़ा के बच्चों के लिए सेवा
वेटिकन ने इस ऐतिहासिक निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि यह पोप फ्रांसिस की अंतिम इच्छाओं में से एक थी – ग़ज़ा के उन मासूम बच्चों की मदद करना, जिनकी जिंदगी युद्ध और भूख के बीच पिस रही है।
यह गाड़ी अभी फिलहाल बेथलेहम में खड़ी है और तब तक वहीं रहेगी जब तक इसराइल, ग़ज़ा में मानवीय सहायता का रास्ता फिर से नहीं खोल देता।
यूनिसेफ़ का डरावना आंकड़ा: मौत का मैदान बन चुका है ग़ज़ा
अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इसराइल-हमास संघर्ष ने ग़ज़ा को रक्तरंजित कर दिया है।
अब तक 15,000 से ज़्यादा बच्चे मारे जा चुके हैं।
10 लाख लोग बेघर हो चुके हैं।
दो महीने से खाद्य सामग्री, साफ पानी और दवाएं पूरी तरह बंद।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग़ज़ा के लोगों की हालत अब “भूख और बीमारियों से मौत” की तरफ बढ़ चुकी है।
पोपमोबाइल अब एक चलता-फिरता संदेश है
इस पोपमोबाइल की नई भूमिका, एक गहरे संदेश के साथ आती है —
“ईश्वर की सेवा अब केवल चर्च के भीतर नहीं, इंसान के जख्मों पर मरहम बनकर करनी है।”
जहां एक ओर दुनिया के नेता युद्ध की रणनीतियाँ बना रहे हैं, वहीं पोपमोबाइल शांति की सुपरसाउंड सायरन बनकर, घायल इंसानियत की ओर दौड़ रही है।
2025 में नया बिजनेस शुरू करें या इंतज़ार करें? सही टाइम या टाइम खराब?