
पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष सैलानियों की हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया है। अब केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने “मुलायम नहीं, निर्णायक” नीति अपनाते हुए पाकिस्तान और उसके आतंकी संरचनाओं के खिलाफ एक बहुस्तरीय रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
यह रणनीति केवल जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकी आधारभूत ढांचे को जड़ से खत्म करने की दिशा में पहला कदम मानी जा रही है।
1. वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करना
भारत संयुक्त राष्ट्र, FATF, और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंक का सरपरस्त राष्ट्र घोषित करवाने की कोशिश करेगा।
सबूत, सैटेलाइट इंटेल और खुफिया जानकारी साझा की जाएगी, ताकि वैश्विक समर्थन भारत के पक्ष में खड़ा हो।
2. नीलम वैली में सीमित स्ट्राइक की तैयारी
LoC के पार, नीलम वैली में स्थित आतंकी लॉन्चपैड्स पर “सर्जिकल और एयर प्रिसिजन स्ट्राइक” के विकल्प पर विचार हो रहा है।
यह हमला ऐसे समय किया जाएगा जब दुश्मन सबसे कम सतर्क हो।
3. LeT मास्टरमाइंड का पीछा और सफाया
भारतीय एजेंसियों का फोकस अब लश्कर-ए-तैयबा के सरगनाओं की लोकेशन ट्रैक कर, उन्हें दुनिया के किसी भी कोने में खोजकर खत्म करने पर है। यह कार्रवाई सीधी और स्पष्ट संदेश देगी—भारत माफ नहीं करता।
4. कश्मीर में ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) नेटवर्क का सफाया
इस हमले को अंजाम देने में मदद करने वाले लोकल OGW नेटवर्क की शिनाख्त और गिरफ्तारी पर तेज़ी से काम हो रहा है।
जिन्होंने आतंकी सहायता की है, उन्हें कानून और बल दोनों का सामना करना होगा।
5. सामाजिक संतुलन और सांप्रदायिक सौहार्द की बहाली
हमले के बाद सोशल मीडिया और ज़मीनी माहौल में जो हिंदू-मुस्लिम असंतुलन पैदा हुआ है, उसे संतुलित करना आज की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।
सरकार, मीडिया, और समाज को मिलकर यह साफ संदेश देना होगा कि आतंक का धर्म नहीं होता, और भारत का हर नागरिक आतंकी के खिलाफ एकजुट है।
पहलगाम आतंकी हमला: क्या कट्टरपंथी और आतंकी एक सिक्के के दो पहलू हैं?
इस रणनीतिक दबाव और संभावित हमले के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर प्रतिशोधात्मक हमलों की आशंका जताई जा रही है। भारत सरकार इन घटनाओं पर कूटनीतिक निगरानी बनाए रखने की तैयारी में है।
शादी के 6 दिन बाद शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय: पहलगाम आतंकी हमले ने छीना बेटा
पहलगाम हमला भारत के लिए केवल एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक एकता पर सीधा हमला है। अब वक्त है जवाब देने का – शब्दों से नहीं, रणनीति से। भारत अब आतंकी हमलों के जवाब में “शांति का आग्रह” नहीं, कठोर कार्रवाई का रास्ता चुन चुका है।