
पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर की सुरम्य घाटी से पर्यटकों का अचानक पलायन एक बार फिर राज्य में पर्यटन उद्योग की संवेदनशीलता को उजागर करता है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस स्थिति को “दिल तोड़ने वाला” बताया है, लेकिन साथ ही पर्यटकों की चिंता को भी पूरी तरह जायज ठहराया है।
पर्यटकों का पलायन और सरकार की चिंता:
हमले के तुरंत बाद सैकड़ों पर्यटकों ने कश्मीर छोड़ने का फैसला किया। कई ट्रैवल एजेंसियों और होटल्स ने अचानक रद्दियों की बाढ़ देखी। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियोज़ में पर्यटकों को श्रीनगर एयरपोर्ट और बस स्टैंड्स पर भारी भीड़ के बीच देखा गया।
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मुख्यमंत्री की संवेदनशील प्रतिक्रिया:
उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा,
“कल पहलगाम में हुए दुखद आतंकी हमले के बाद हमारे मेहमानों का घाटी से जाना दिल तोड़ने वाला है, लेकिन हम समझते हैं कि लोग क्यों डर रहे हैं।”
उन्होंने श्रीनगर से जम्मू के बीच यातायात सुविधाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए ताकि पर्यटकों को सुरक्षित वापसी में मदद मिल सके।
उड्डयन मंत्रालय की त्वरित कार्रवाई:
इस स्थिति को देखते हुए DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइनों को अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टिकट रद्दीकरण या दोबारा बुकिंग पर किसी भी तरह का शुल्क न लेने की सलाह दी गई है।
सुरक्षा और आवाजाही पर पाबंदियां:
इस समय घाटी में सभी प्रकार की गाड़ियों की आवाजाही पूर्णतः नियंत्रित है। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनज़र केवल परमिट वाले वाहनों को ही यात्रा की अनुमति दी है।
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पर्यटन उद्योग को तगड़ा झटका:
कश्मीर में अप्रैल-मई का महीना पर्यटन सीज़न का पीक होता है। ऐसे में इस हमले और पलायन ने स्थानीय कारोबार, होटल इंडस्ट्री और टूर ऑपरेटर्स के लिए बड़ा आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है।
क्या कहती हैं आंकड़ें?
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2024 में अप्रैल के महीने में 3.5 लाख पर्यटक आए थे।
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2025 में अब तक इस महीने केवल 1.9 लाख पर्यटक आए हैं।
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हमले के बाद करीब 70% बुकिंग्स रद्द हुई हैं।