
जब पाकिस्तान को ज़मीन पर घुटनों के बल चलना पड़ रहा है, तब तुर्की उसके लिए आसमान में ड्रोन उड़ाने आ गया है। एक ज़माना था जब दोस्ती चाय के प्याले से तौलती थी, अब “Bayraktar TB2” और “सोंगर ड्रोन” के टुकड़ों से तौल रही है।
भारत ने दी पाकिस्तान को नई चेतावनी: तीसरी पार्टी की नहीं, अब सीधी कार्रवाई की नीति
तुर्की: इस्लामी एकता का ठेकेदार या ड्रोन डीलर?
तुर्की अब न तो सिर्फ़ मस्जिदों के गुंबद से भाषण देता है और न सिर्फ़ “कश्मीरी भाइयों” के लिए आँसू बहाता है। अब वो अपने हथियारों से पाकिस्तान को ये समझा रहा है कि ‘मुहब्बत में गोली चलाना भी जायज़ है’।
2015 से 2024 के बीच तुर्की का हथियार निर्यात 100% से ज्यादा बढ़ा है, और पाकिस्तान उसका सबसे बड़ा ग्राहक बन गया है — यानी अब दोस्ती भी EMI पर चल रही है।
ड्रोन की दोस्ती और दिल्ली की दूरी
भारत ने हाल ही में 36 सीमावर्ती इलाकों में 300 से ज्यादा पाकिस्तानी ड्रोन को ढेर कर दिया। इनमें से अधिकांश तुर्की से आए सोंगर ड्रोन थे।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने साफ कहा — ये ड्रोन ‘मेड इन टर्की’ हैं, लेकिन इनके इरादे ‘मेड फॉर पाकिस्तान’ हैं।
कराची में खड़ा तुर्की का पनडुब्बी रोधी पोत और हरक्यूलिस विमान…
तुर्की का सैन्य काफिला 2 मई को कराची में ठहरा, लेकिन वो ‘सी-130 हरक्यूलिस’ में क्या लाया — चॉकलेट या चैलेंज, ये किसी से छिपा नहीं।
ऑपरेशन सिंदूर से हुआ ‘माथा लाल’
भारत के ऑपरेशन सिंदूर की निंदा करने वाला एकमात्र खाड़ी दोस्त था तुर्की। बाकी सभी देश या तो चुप थे या भारत के रुख के करीब।
शायद एर्दोगान साहब को खाड़ी में सिर्फ़ नमाज़ नहीं, नेतृत्व भी चाहिए, पर भारत ने साफ कर दिया — कूटनीति अब तमीज़ और ताक़त दोनों से चलेगी।
शीत युद्ध से लेकर ‘शीत तंज’ तक
पाकिस्तान-तुर्की की जुगलबंदी कोई नई नहीं। CENTO हो या 1983 में टर्किश साइप्रस की मान्यता, ये रिश्ता सिर्फ़ डिफेंस डील तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ‘डिफेक्टिव लॉजिक’ तक पहुंच चुका है।
एर्दोगान: 21 साल, 10 दौरे और एक ही एजेंडा
एर्दोगान साहब ने 2003 से अब तक 10 बार पाकिस्तान यात्रा की, लेकिन भारत के लिए सिर्फ़ बयानबाज़ी छोड़ी। भारत ने भी अब यूनान, साइप्रस, और आर्मेनिया के साथ मिलकर एक नया रक्षा घेरा खींच दिया है, ताकि दोस्ती और दुश्मनी दोनों को सही नाप पर तौला जा सके।
तुर्की का हिंद महासागर में ‘छोटा नवाब बनने का सपना’
2017 में सोमालिया में बेस खोलकर तुर्की ने बताया कि हिंद महासागर में भी उसकी आंखें नम नहीं, नमकीन हैं। भारत विरोधी मालदीव को ड्रोन बेचना, नौसेना युद्धपोत भेजना — सब कुछ इसी भू-राजनीतिक तंगदिल सपने का हिस्सा है।
और अंत में: दोस्ती की चाशनी में डूबा बारूद
जब पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान 2024 की समिट में मिले, तब भारत ने हथियारों के जरिए आर्मेनिया को नया मित्र बना लिया।
तुर्की के बगल में बैठे पाकिस्तान ने अतीत में जो नरसंहार छुपाया, भारत ने उसका जवाब सैन्य साझेदारी से दिया।
तुर्की अब सिर्फ़ बगदादी टोपी पहन कर भारत विरोध नहीं करता, वो अब हेलीकॉप्टर और ड्रोन में बैठकर भी यही करता है। लेकिन भारत अब वो पुराना भारत नहीं — जो सिर्फ़ विरोध दर्ज कराता था, अब वो डिप्लोमेसी में भी ड्रोन का जवाब मिसाइल से देता है।
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