अमेरिका ने खोली पोल: पाकिस्तान में हुकूमत ‘बूट’ की, न कि वोट की!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच एक दिलचस्प लेकिन बेहद शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को छोड़ सीधे उसके सेनाध्यक्ष से बात की है। सवाल ये है कि क्या अमेरिका भी अब पाकिस्तान को ‘जनरल-राष्ट्र’ मानने लगा है? प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की हैसियत इतनी भी नहीं रही कि अंतरराष्ट्रीय चर्चा में उन्हें फोन किया जाए। ये वही पाकिस्तान है जहां वोट की नहीं, सिर्फ बूट की सुनवाई होती है।

ड्रोन, दोस्ती और दोगलापन: पाकिस्तान का हथियारबंद मुहब्बती भाई तुर्की!

सेनाध्यक्ष से सीधी बात, प्रधानमंत्री को साइडलाइन

रुबियो की कॉल ने पाकिस्तानी लोकतंत्र की हालत का एक्स-रे कर दिया है। जब दुनिया की महाशक्ति सेनाध्यक्ष को संपर्क का प्राथमिक जरिया माने, तो समझिए सरकार सिर्फ नाम की रह गई है।

क्या पाकिस्तान अब भी लोकतंत्र है?

सवाल लाजमी है कि क्या वजीर-ए-आज़म सिर्फ टीवी भाषणों के लिए रखे जाते हैं, जबकि असली पावर तो GHQ में बैठी वर्दी के पास है?

पाकिस्तानी “नेशनल कमांड अथॉरिटी” या ‘नेशनल कंट्रोल बाय आर्मी’?

तनाव के बीच शहबाज शरीफ ने ‘नेशनल कमांड अथॉरिटी’ की बैठक बुलाई। यह वही कमिटी है जो परमाणु बम के बटन से लेकर विदेश नीति तक पर फैसला करती है, लेकिन यहां भी सेना ही सर्वेसर्वा है।

परमाणु फैसले, विदेश नीति—सब कुछ सेना के हाथ में

जहां लोकतंत्र जिंदा हो, वहां ऐसे फैसले संसद करती है, लेकिन पाकिस्तान में ये काम यूनिफॉर्मधारी करते हैं।

शहबाज शरीफ की बेचैनी और बूट की छाया

बैठक बुलाने वाले शरीफ साहब खुद जान चुके हैं कि वे अब सिर्फ परछाई भर हैं—असल चेहरे तो पीछे से टेलीप्रॉम्प्टर चला रहे हैं।

भारत पर ड्रोन-मिसाइल से हमले, सेना ने किए फेल

पाकिस्तान ने शुक्रवार रात और शनिवार सुबह कई ड्रोन भारत की ओर भेजे, लेकिन भारतीय सेना ने समय रहते सारे ड्रोन मार गिराए। कायरतापूर्ण हरकतें पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा बन चुकी हैं।

शुक्रवार रात से शनिवार तक चली कायरता की कोशिश

इन हमलों का मकसद सिर्फ अशांति फैलाना था, लेकिन भारत की वायुसेना और थलसेना ने इसे नाकाम कर दिया।

भारतीय सेना की मुस्तैदी ने फिर किया पाकिस्तान को शर्मसार

एक भी हमला सफल नहीं हुआ, और अब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफाई देने की जरूरत पड़ रही है।

भारत का जवाब—तीन पाक एयरबेस चित, सख्त संदेश

भारत ने करारा जवाब दिया और पाकिस्तान के नूर खान, शोरकोट और मुरीद एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचाया। ये सिर्फ जवाब नहीं था, बल्कि चेतावनी भी थी।

नूर खान, शोरकोट और मुरीद एयरबेस पर सटीक हमला

इन हमलों ने पाकिस्तान को यह एहसास करा दिया कि भारत अब ‘स्ट्रैटेजिक पेशेंस’ नहीं, ‘स्ट्रैटेजिक एक्शन’ की राह पर है।

“हम शांति चाहते हैं, लेकिन कमजोरी नहीं”

भारत की नीति अब स्पष्ट है—शांति पहली पसंद है, लेकिन आत्मरक्षा सर्वोपरि।

एलओसी पर फायरिंग और एक अधिकारी की शहादत

पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी राज कुमार थप्पा की मौत हो गई। यह घटना साबित करती है कि पाकिस्तान अब सरकारी अधिकारियों को भी निशाना बना रहा है।

राज कुमार थप्पा की शहादत से देश में गुस्सा

उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। थप्पा हाल ही में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बैठक कर लौटे थे।

पाकिस्तान: जहां लोकतंत्र वर्दी के नीचे दबा है

इस पूरी घटना से एक बात साफ है—पाकिस्तान में सरकार नहीं, सेना राज करती है। और जब सेना राज करती है, तो लोकतंत्र घुटनों के बल बैठा नजर आता है।

सेनाध्यक्ष ही विदेश नीति, सेनाध्यक्ष ही युद्ध नीति

क्या अमेरिका ने ये संकेत दिया है कि पाकिस्तान में सेना ही असली सरकार है?

अमेरिका ने दिखाया कि असली ताकत किसके पास है

प्रधानमंत्री को बायपास कर सीधा सेनाध्यक्ष से बात करना, इस बात की अंतरराष्ट्रीय मुहर है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र सिर्फ एक मुखौटा है।

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