
भारत और पाकिस्तान — ये दो पड़ोसी देश दशकों से तनाव, युद्ध और आतंकवाद के साये में जी रहे हैं। लेकिन इस बार जो बदला है, वो है भारत की रणनीति। अब भारत तीसरे देश की मध्यस्थता को महत्व नहीं देता, बल्कि जवाब सीधा और निर्णायक देता है।
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पाकिस्तान हमेशा चाहता रहा है थर्ड पार्टी की मध्यस्थता
पाकिस्तान हर बार चाहता था कि कोई तीसरा देश — चाहे वो संयुक्त राष्ट्र हो या सोवियत यूनियन — बीच में आए और समाधान कराए। हमला भारत पर होता है, तो उसे इसका जवाब देने का पूरा अधिकार है, और वो जवाब अब सीमाओं में बंधा नहीं होगा।
यही वजह है कि भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (POK) में कार्रवाई की, बल्कि पाकिस्तान के अंदर, पंजाब प्रांत तक स्ट्राइक की।
भारत के पास क्या विकल्प हैं?
2016 की सर्जिकल स्ट्राइक हो, 2019 का बालाकोट हमला, या अब का पंजाब के भीतर अटैक — भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी हमले का जवाब देने के लिए अब भूगोल की सीमा नहीं मानेगा।
भविष्य में अगर भारत पर कोई आतंकी हमला होता है, तो वह सिर्फ LOC तक सीमित नहीं रहेगा।”
तीसरी पार्टी की भूमिका खत्म?
भारत ने साफ कर दिया है कि अब किसी भी तीसरे देश — चाहे वो अमेरिका हो, चीन हो या यूएन — को मध्यस्थता का मौका नहीं मिलेगा। यह एक आत्मनिर्भर कूटनीतिक रणनीति है जो भारत की बदली हुई सुरक्षा नीति का प्रतीक है।
भारत अब पाकिस्तान के साथ सिर्फ वार्ताओं में उलझने वाला देश नहीं, बल्कि कार्रवाई करने वाला राष्ट्र बन चुका है। तीसरी पार्टी की भूमिका ख़त्म होती दिख रही है और भारत अब अंतरराष्ट्रीय राय की परवाह किए बिना, अपने हितों की रक्षा के लिए अग्रसक्रिय नीति अपना चुका है।
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