सीजफायर मुबारक! अब फिर से शुरू करें – वही पुराने धंधे: धर्म, जात-पात और ……

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि)

जैसे ही भारत-पाक युद्ध विराम की घोषणा हुई, टीवी एंकरों ने राहत की सांस ली, लेकिन बैकस्टेज स्क्रिप्ट राइटर फिर से वही पुरानी फाइलें निकालने लगे — “राम बनाम रहीम”, “आरक्षण बनाम योग्यता”, “संविधान बनाम आस्था”

किसी न्यूज़ चैनल ने तो यहां तक कहा:

“अब जब बॉर्डर से मिसाइलें नहीं आ रहीं, तो चलो स्टूडियो में ‘डिबेट बम’ फोड़ा जाए।”

“ठीक है, लेकिन हमारी शर्तों पर!” — आज शाम 5 बजे से भारत-पाक में सीजफायर लागू

चरणबद्ध वापसी प्लान – देखिए किस तरह होगी वापसी

धार्मिक ध्रुवीकरण रीलोडेड

“हमला हिन्दू पर नहीं, हिंदुत्व पर हुआ था”
“तुष्टिकरण अब बर्दाश्त नहीं होगा”

डिबेट टेबल पर धर्मग्रंथ खुलेंगे, लेकिन समाधान नहीं निकलेंगे।
पंडितों-मौलवियों के क्लिप्स काटकर वायरल होंगे।

जात-पात का सोशल इंजीनियरिंग रिवाइवल

“XYZ जाति को मिला है हक, लेकिन ABC को क्यों नहीं?”

टिकट वितरण से लेकर बयानबाज़ी तक — सबकुछ जातिगत गणित पर टिका होगा।
राजनीतिक पार्टियां “पिछड़ा कार्ड” और “अतिपिछड़ा कार्ड” फिर से फेंटेंगी।

वक्फ बिल – संसद में फिर ‘विवाद का वक्फ’

“ये बिल बहुसंख्यकों के अधिकारों का हनन है!”
“वक्फ संपत्ति देश की नहीं, समुदाय की है!”

ट्रेन रोको आंदोलन – नया मील का पत्थर

विरोध की लोकतांत्रिक ताक़त अब पटरी पर दौड़ेगी।
हर मुद्दा अब रेल की देरी से तय होगा — “रेल रोकी गई है” = “हमारा विरोध सफल हुआ”।

TRP की पुनर्प्राप्ति योजना चालू

“सुरक्षा एजेंसियों का काम बॉर्डर पर है, लेकिन न्यूज़ चैनलों का ‘नैशनल सिक्योरिटी ड्रामा’ स्टूडियो में जारी रहेगा।”

अब एक नया सेगमेंट आ सकता है – “देशद्रोही कौन?”
ट्विटर पर ट्रेंड चलेगा – #DeshbhaktVsDeshdrohi

 “भारत फिर भारत हो गया”

जब युद्ध का डर था तो “140 करोड़ एकजुट” थे। अब जब शांति है, तो फिर ‘हिंदू-मुस्लिम’, ‘पिछड़ा-आगे’, ‘तू-मैं’ चालू। शांति सिर्फ सीमा पर होनी चाहिए, ज़हन में नहीं — ये राजनीति की अघोषित नीति है।

“दोनों मान गए!” – ट्रंप बोले, भारत-पाक युद्धविराम के लिए राज़ी

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