बिहार 2025: मुख्यमंत्री पद को लेकर NDA और INDIA गठबंधन में असमंजस

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्माने लगी है। जैसे-जैसे 2025 का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधन—NDA (BJP-JDU) और INDIA (RJD-Congress समेत अन्य)—मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर स्पष्ट रणनीति घोषित करने से बचते नजर आ रहे हैं। इस दुविधा के पीछे की राजनीति, इसके संभावित परिणाम और मतदाताओं पर इसका प्रभाव विश्लेषण की मांग करता है।

लाउडस्पीकर से तंग हैं? बजने दीजिए… वर्ना ठोंक देंगे-वकील से सीख लीजिए!

NDA गठबंधन: नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा बनाम भाजपा की रणनीति

नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेताओं में से एक हैं। एक समय में ‘सुशासन बाबू’ के नाम से प्रसिद्ध रहे नीतीश अब अपने राजनीतिक जीवन के संध्याकाल में हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी महत्वाकांक्षा अभी भी जीवित है।

भाजपा की चुप्पी क्या संकेत देती है?

भाजपा अब अकेले चुनाव जीतने की क्षमता दिखा चुकी है, खासकर लोकसभा में। नीतीश कुमार पर अब वैसा जनसमर्थन नहीं रहा, जैसा 2010 में था। भाजपा शायद उन्हें ‘सीएम फेस’ घोषित करने से इसलिए बच रही है, क्योंकि वह एक थके हुए नेता के रूप में देखे जा रहे हैं। JDU को ‘junior partner’ के तौर पर रखना भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से मुफीद है।

तेजस्वी यादव की आकांक्षा बनाम कांग्रेस की संकोच

तेजस्वी यादव पिछले कुछ वर्षों में खुद को युवा और जुझारू नेता के रूप में स्थापित करने में सफल रहे हैं। 2020 में उन्होंने एक मजबूत चुनाव लड़ा और विपक्ष के नेता के तौर पर खुद को साबित भी किया।

कांग्रेस क्यों सीएम फेस पर चुप है?

कांग्रेस शायद ‘तेजस्वी कार्ड’ को तब तक न खोलने की रणनीति अपना रही है जब तक कि सीटों की हिस्सेदारी पर सहमति न हो जाए। साथ ही, कांग्रेस को लगता है कि तेजस्वी का नाम जल्द सामने लाना गठबंधन में असंतुलन पैदा कर सकता है।

जब Notes हो भारी और जेब हो खाली, तो मैगी बनती है UPSC की रानी!

मतदाताओं पर प्रभाव: नेतृत्व की स्पष्टता बनाम गठबंधन की उलझन

बिहार का मतदाता पिछले दो दशकों में राजनीतिक परिपक्वता दिखा चुका है। वह जातिगत समीकरणों के साथ-साथ अब नेता की साख और गठबंधन की स्थिरता को भी देखता है।

नेतृत्व की स्पष्टता क्यों ज़रूरी है?

मुख्यमंत्री चेहरा तय न होना मतदाता के बीच अनिश्चितता पैदा करता है। भाजपा भले ही “मोदी चेहरा” के सहारे चुनाव जीतने की सोच रही हो, लेकिन राज्य चुनाव में स्थानीय नेतृत्व भी निर्णायक भूमिका निभाता है।

सियासी भ्रम रणनीति है या संकट?

बिहार चुनाव 2025 के लिहाज़ से यह स्पष्ट है कि NDA अभी नीतीश को चेहरा बनाने को लेकर असमंजस में है, और भाजपा खुद को केंद्र में लाना चाहती है। INDIA गठबंधन तेजस्वी को चेहरा बनाने में हिचक रहा है, ताकि कांग्रेस की सौदेबाज़ी की ताकत बनी रहे। मुख्यमंत्री पद को लेकर यह ‘सस्पेंस’ एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है या फिर गठबंधनों की भीतरी कमजोरी का संकेत भी।

Related posts

Leave a Comment