
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण विपक्ष और चुनाव आयोग के बीच टशन का नया कारण बन गया है।
जहाँ एक ओर विपक्ष इसे “वोटबंदी पार्ट-2” कह रहा है, वहीं चुनाव आयोग कह रहा है – “बस, नाम सही करवा लो, वोट तुम्हारा रहेगा!”
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“एक महीने में कैसे हो पाएगा सत्यापन?”
विपक्ष बोला: भाई! जातीय सर्वेक्षण में 9 महीने लग गए थे, इतने कम वक्त में 7 करोड़ वोटरों तक कैसे पहुंचोगे?
चुनाव आयोग का जवाब: 2003 में भी हमने 31 दिन में ये कमाल कर दिखाया था! अब तो हमारे पास हैं –
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77,895 BLO,
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20,603 अतिरिक्त BLO,
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साथ ही ड्राफ्ट रोल 1 अगस्त को आएगा और आपत्ति दर्ज करने की आखिरी तारीख 1 सितम्बर होगी।
“क्या वोटर बैन हो रहे हैं?”
विपक्ष का आरोप: पहले लॉकडाउन, फिर नेटबंदी, अब वोटबंदी? ये लोकतंत्र की हत्या है!
EC ने कहा: ये रिवीजन जरूरी है। मतदाता सूची कोई पत्थर की लकीर नहीं, लोग मरते हैं, पलायन करते हैं, नए 18+ जुड़ते हैं – ये बदलाव ज़रूरी हैं।
“टाइमिंग ही गड़बड़ है!”
विपक्ष: चुनाव सिर पर है और आप लिस्ट सुधार रहे हैं? इससे शक पैदा होता है।
चुनाव आयोग: भैया, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियमावली, 1960 के तहत ये हर चुनाव से पहले होता है। पिछले 75 साल से हो रहा है।
“क्या 2 करोड़ वोटर होंगे आउट?”
विपक्ष का डर: गरीब, दलित, अल्पसंख्यक, श्रमिक – सब बाहर हो जाएंगे।
चुनाव आयोग: ऐसा नहीं होगा।
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संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, 18+ भारतीय जो उस क्षेत्र में रहते हैं – उन्हें हक है वोट का।
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हमारा मकसद “No Voter Left Behind” है।
“अगर दस्तावेज नहीं हों तो?”
तेजस्वी यादव का तर्क: 2001-2005 में जन्मे सिर्फ 2.8% के पास जन्म प्रमाण पत्र था। बहुतों के पास तो जाति प्रमाण पत्र भी नहीं है।
EC का जवाब:
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हमने 11 वैकल्पिक दस्तावेजों की लिस्ट दी है।
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और अगर वो भी नहीं हो पाए, तो ERO को संतुष्ट करने वाला कोई भी डॉक्यूमेंट चलेगा।
मतलब: सरकारी दिमाग है लेकिन ‘लचीला’ है!
जमीनी हालात क्या कह रहे हैं?
पटना से लेकर दिल्ली तक जब लोगों से पूछा गया कि नाम की पुष्टि में क्या दिक्कत आ रही है, तो जवाब कुछ यूं थे:
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दस्तावेज नहीं मिल रहे
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पता बदल गया है
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वोटर ID नई बनी है, पुरानी लिस्ट में नाम ढूंढ़ना मुश्किल
साफ है – समस्या ज़रूर है, लेकिन समाधान भी मुमकिन है।
राजनीति अपनी जगह है, लेकिन वोटर लिस्ट की सफाई जरूरी है।
हाँ, EC को ज़मीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए लचीलापन और सहजता बढ़ानी होगी। और जनता को – थोड़ा जागरूक और proactive होना पड़ेगा।
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