
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही VIP कल्चर खत्म करने के दावे करती हो, लेकिन हकीकत की ट्रेन पटरी से उतरती दिखी जब वंदे भारत एक्सप्रेस में एक विधायक ने खिड़की वाली सीट को लेकर हंगामा मचा दिया। झांसी की बबीना विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राजीव सिंह पारीछा पर आरोप है कि उन्होंने खिड़की वाली सीट के लिए एक आम यात्री को अपने समर्थकों से पिटवाया। सीट का मामला ऐसा बिगड़ा कि नैतिकता, कानून और इंसानियत तीनों स्टेशन पर छूट गए।
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क्या था पूरा मामला?
दिल्ली से भोपाल जा रही हाई-स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस में विधायक अपनी पत्नी और बेटे के साथ सवार हुए। उनकी सीटें 8, 50 और 51 थीं, मगर दिल खिड़की वाली सीट पर आ गया — जो किसी और यात्री की थी। जब यात्री ने सीट बदलने से इनकार कर दिया, तो VIP धैर्य जवाब दे गया। आरोप है कि विधायक के समर्थक झांसी स्टेशन पर ट्रेन में चढ़े और यात्री राज प्रकाश को जमकर पीटा। ट्रेन के कोच में चीख-पुकार मच गई, लेकिन ट्रेन समय से रवाना हो गई।
पीड़ित बोला – VIP सीट मांगते-मांगते खून बहा दिया
पीड़ित राज प्रकाश का आरोप है कि सीट न देने पर विधायक ने अपने साथियों को बुलाया, जिन्होंने उसे बुरी तरह पीटा। वह खून से लथपथ था, पर मदद की बजाय उसे स्टेशन पर छोड़कर ट्रेन आगे बढ़ गई। इस दौरान ट्रेन में मौजूद अन्य यात्रियों ने भी इस ‘VIP गुंडागर्दी’ को होते देखा, पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और जीआरपी के अधिकारी चुप्पी साधे रहे।
विधायक की ‘VIP सफाई’ – गाली दी थी, खिड़की नहीं दी
राजीव सिंह पारीछा ने मीडिया के सामने अपनी सफाई में कहा कि यात्री ‘आपत्तिजनक मुद्रा’ में बैठा था और उन्हें सिर्फ बैठने की तहज़ीब सिखाई गई। उन्होंने उल्टा पीड़ित पर गाली-गलौज का आरोप लगाया और झांसी जीआरपी में अपनी ओर से शिकायत भी दर्ज करवा दी। मज़े की बात यह कि पुलिस ने विधायक की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए धारा 115(2) और 352 के तहत केस दर्ज कर लिया — जैसे खिड़की वाली सीट संविधान से जुड़ी हो।
सपा का हमला – “VIP नहीं, Vicious Insensitive People!”
घटना के बाद समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला। सपा ने बयान जारी कर कहा,“भाजपाई गुंडे अब ट्रेन में भी सीट के लिए मारपीट कर रहे हैं। योगी सरकार चुप है, और VIP गुंडागर्दी बेलगाम। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
पार्टी ने इसे सत्ता के नशे में चूर नेताओं की घिनौनी मानसिकता करार दिया।
क्या कानून को भी जनरल बोगी में डाल दिया गया है?
इस घटना ने न सिर्फ राजनीतिक बहस को जन्म दिया, बल्कि एक बड़ा सवाल भी खड़ा किया — क्या ट्रेन में अब सीट भी नेताओं की ‘पहुंच’ से तय होगी? क्या अब आम आदमी को कानून और संविधान से ज़्यादा जरूरी खिड़की की सीट बन गई है?
बात सिर्फ एक सीट की नहीं, लोकतंत्र की गरिमा की है — जो VIP कल्चर की धक्कामुक्की में गिर पड़ी।