
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के वनांचल क्षेत्र नौगढ़ में सरकार द्वारा शराब की दुकानें खोलने के फैसले ने वहां के ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। आदिवासी बहुल इस इलाके में पहले से ही शराब की कुछ दुकानें मौजूद थीं, लेकिन अब और भी नए इलाकों — जैसे औरवाटाड़, अमदहां, केसार, जनकपुर और बजरडीहा — में शराब बिक्री के विस्तार ने स्थानीय लोगों में भारी नाराज़गी पैदा कर दी है।
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रोजगार की जगह नशा क्यों?
ग्रामीणों ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि क्षेत्र में जहां रोजगार की भारी कमी है और युवा पलायन को मजबूर हैं, वहां शराब की दुकानें खोलना विकास की नहीं, विनाश की दिशा में कदम है।
आर्थिक और सामाजिक संकट की आशंका
स्थानीय लोगों का मानना है कि शराब की दुकानें खुलने से न केवल घर-घर में कलह बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। नशे की गिरफ्त में आने से लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होंगे। महिलाओं और बुजुर्गों ने सामूहिक रूप से शराबबंदी की माँग उठाई है।
विकास की राह पर लौटे सरकार
ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में वनांचल क्षेत्रों का विकास चाहती है तो उसे चाहिए कि वह:
स्थानीय उद्योग व कल-कारखानों की स्थापना करे। सरकारी स्कूल और अस्पताल खोले। नौकरी और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए। ग्रामीणों ने चेताया कि यदि उनकी माँगें नहीं मानी गईं, तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
चंदौली का नौगढ़ क्षेत्र सरकार से विकास की मांग कर रहा है, न कि नशे के जाल में फंसाने वाली शराब दुकानों का विस्तार। इस जनविरोध को नज़रअंदाज़ करना न केवल राजनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है, बल्कि सामाजिक रूप से भी विनाशकारी परिणाम ला सकता है। सरकार को चाहिए कि वह जनता की आवाज सुने और वनांचल क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं व रोजगार उपलब्ध कराए।