
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा: “भारत के हमले से महिलाएं और बच्चे मारे गए। यह हमारी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।” अब कोई पूछे इनसे – पहलगाम में जो 26 निर्दोष भारतीय नागरिक मरे, वो किस चार्टर के तहत थे?
क़तर की चिंता: भारत-पाकिस्तान विवाद पर शांति की अपील, आतंक पर खामोशी क्यों?
ऑपरेशन सिंदूर की बुनियाद
6-7 मई की रात भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बहावलपुर, मुरीदके समेत 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। भारतीय सेना की कर्नल सोफ़िया कुरैशी ने स्पष्ट किया:
“ये हमला नहीं, न्याय था। जवाब था उन बेकसूरों की मौत का, जिनकी जान आतंकी हमले में ली गई थी।”
ताज्जुब: आतंकियों की मौत पर अफ़सोस, निर्दोषों की मौत पर मौन
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में आतंकी शिविरों का जिक्र नहीं, पहलगाम हमले का कोई अफसोस नहीं, बस संप्रभुता, कानून और शांति के प्रवचन।
“जिस देश की जमीन पर आतंकी फैक्ट्रियां खुली हों, वहाँ से कानून की दुहाई ऐसे लगती है जैसे तेंदुआ शाकाहार की वकालत करे।”
मौत का हिसाब: इधर भी, उधर भी
-
पाकिस्तान का दावा: 26 नागरिक मरे, 46 घायल
-
भारत का बयान: पाक गोलीबारी में 10 भारतीय मरे, 32 घायल
फर्क बस इतना है — भारत आतंकियों को निशाना बनाता है, पाकिस्तान सीधे बस्तियों पर।
पाकिस्तान की ‘संप्रभुता’ अब ATC (आतंकी ट्रांजिट कॉरिडोर) बन चुकी है, और जब भारत सफाई करता है — तो इन्हें “अंतरराष्ट्रीय कानून” याद आता है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है: “जहाँ से बारूद आएगा, वहीं जवाब जाएगा — कूटनीति बाद में, इंसाफ पहले!”
पाकिस्तान का “ड्रामा बम”: 5 भारतीय लड़ाकू विमान गिराने का दावा, सबूत ‘गैर-हाज़िर’