टेरिटोरियल आर्मी क्या है? अब सेना प्रमुख सीधे दे सकेंगे मिशन पर तैनाती | जानिए सैलरी, सुविधाएं

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव के बीच शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी के अफसरों और जवानों की तैनाती का विशेष अधिकार दे दिया है। अब जरूरत के अनुसार किसी भी मिशन में इन्हें लगाया जा सकता है।

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यह अधिकार “टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948” के नियम 33 के तहत रक्षा मंत्रालय द्वारा दिया गया है।

टेरिटोरियल आर्मी क्या है?

टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) देश की “सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस” है।
यहां ऐसे नागरिक शामिल होते हैं जो अपनी सामान्य नौकरी करते हुए सेना की ट्रेनिंग भी लेते हैं। जब जरूरत हो, तो वो राष्ट्र सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं।

मुख्य बातें:

  • इसकी शुरुआत 1948 में हुई थी।

  • अब तक 1962, 1965, 1971 और 1999 की लड़ाइयों में भाग ले चुकी है।

  • यह 32 इन्फैंट्री बटालियन तक फैली हुई है।

  • 14 बटालियन अलग-अलग कमांड्स में तैनात की जा सकती हैं।

  • प्राकृतिक आपदाओं में भी ये अहम भूमिका निभाते हैं।

टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती कैसे होती है?

  • वैकेंसी के ज़रिए भर्ती होती है।

  • उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू पास करना होता है।

  • चयन के बाद उन्हें सेना की ट्रेनिंग दी जाती है।

सैलरी और सुविधाएं

सैलरी (रैंक के अनुसार):

  • ₹56,100 से ₹2,25,000 प्रति माह तक

मिलने वाली सुविधाएं:

  • CSD कैंटीन का लाभ

  • मुफ्त राशन

  • आर्मी मेडिकल सुविधाएं

  • डिफेंस ट्रैवल और अन्य भत्ते

क्यों बढ़ा टेरिटोरियल आर्मी का महत्व?

वर्तमान हालातों में जब पाकिस्तान की ओर से लगातार ड्रोन और रॉकेट से हमलों की कोशिशें हो रही हैं, ऐसे में टेरिटोरियल आर्मी की रणनीतिक भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।

सेना प्रमुख को सीधे इनकी तैनाती का अधिकार देना, सेना की फ्लेक्सिबिलिटी और तेज़ निर्णय क्षमता को और बढ़ाता है।

टेरिटोरियल आर्मी सिर्फ ‘पार्ट-टाइम’ सैनिकों की फौज नहीं है, ये वो जज़्बा है जो आम नौकरी करने वाले नागरिकों को एक असाधारण देशभक्त बना देता है।
अब जब इन जवानों को सेना प्रमुख के सीधे आदेश पर तैनात किया जा सकता है, तो यह स्पष्ट संकेत है कि देश हर चुनौती के लिए तैयार है।

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