भोपाल की जनता बोली – सीज़फायर ठीक है, लेकिन पाकिस्तान पर भरोसा नहीं

सत्येन्द्र सिंह ठाकुर
सत्येन्द्र सिंह ठाकुर

भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 4 दिनों के टकराव और फिर अचानक सीज़फायर की घोषणा पर पूरे देश में चर्चाएं गर्म हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, जो गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक मानी जाती है, वहां भी आम लोग इस घटनाक्रम पर गंभीरता से अपनी राय दे रहे हैं।

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भोपाल के नागरिक क्या सोचते हैं?

शाहिद अली खान (व्यवसायी) कहते हैं,
“हम लोग अमन चाहते हैं, लेकिन अमन एकतरफा नहीं हो सकता। पाकिस्तान को पहले अपनी ज़मीन से आतंकवाद हटाना होगा। जब तक वो नहीं होता, भारत को सख्त रुख रखना ही चाहिए।”

विपिन तिवारी (टीचर) का कहना है,
“मुझे गर्व है कि भारत ने जवाबी कार्रवाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन यह भी ज़रूरी है कि हम युद्ध से ज्यादा स्थायी समाधान खोजें, जिसमें भारत की सुरक्षा सर्वोपरि रहे।”

रजिया परवीन (एनजीओ कार्यकर्ता) कहती हैं,
“हर माँ का दिल दहल उठता है जब युद्ध होता है। लेकिन आतंकवाद बर्दाश्त नहीं हो सकता। पाकिस्तान को दोहरा रवैया छोड़कर भरोसेमंद पड़ोसी की तरह पेश आना होगा।”

आफताब रज़ा (छात्र) कहते हैं,
“हम सीज़फायर के समर्थन में हैं, लेकिन उसे मजबूरी नहीं, मजबूती से लागू करना चाहिए। भारत को अब आतंक के खिलाफ वैश्विक गठबंधन बनाना चाहिए।”

भोपाल की गलियों से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक, एक साझा भाव यह है—शांति जरूरी है, लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है। मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने भी आतंक के खिलाफ एकजुटता की वकालत की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रहित किसी एक धर्म या जाति की सोच नहीं, बल्कि सभी भारतीयों की प्राथमिकता है।

“शांति तभी संभव है जब सीमाओं पर ईमानदारी और भीतर दिलों में नीयत साफ हो।”

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