जब सिस्टम बहरे हो जाएं और सरकारें मौन व्रत में चली जाएं, तो विरोध की भाषा भी क्रिएटिव हो जाती है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने धीना क्षेत्र में ऐसा ही कुछ किया — सरेआम सड़क पर भीख मांगकर प्रशासन को आईना दिखा दिया। ड्रेनों में जाम, खेतों में बर्बादी और सरकार गुमनाम धीना बाजार के किसान पिछले कई महीनों से परेशान थे। वजह? — ड्रेनों की सफाई न होने से खेतों में पानी भर गया और फसलें बर्बाद।शिकायतें की गईं, अर्ज़ियाँ लगाईं,…
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किसान यूनियन की ट्रैक्टर तिरंगा रैली, दिखा देशभक्ति का जोश
जब देश आज़ादी का जश्न मना रहा था, मुजफ्फरनगर की सड़कों पर किसान यूनियन ने कुछ अलग ही रंग बिखेरा। राष्ट्रीय अध्यक्ष सवित मालिक की अगुवाई में ट्रैक्टर तिरंगा रैली निकाली गई, जिसमें सैकड़ों ट्रैक्टरों ने हिस्सा लिया और शहर को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। कहाँ से निकली रैली और क्या रहा रूट? स्थान: सुजड़ू चुंगी से शुरू रूट: मिनाक्षी चौक → महावीर चौक समापन: सुजड़ू चुंगी पर ही हुआ रैली के दौरान पूरे मार्ग पर भारत माता की जय, वंदे मातरम् और जय किसान के नारों से…
Read Moreसत्यपाल मलिक नहीं रहे: आलोचक और ‘राजनीति के बाग़ी’ का अंत
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक जीवन किसी मसाला बॉलीवुड फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं था। उत्तर प्रदेश के बागपत के हिसावदा गांव से निकला ये नौजवान 1974 में महज़ 28 साल की उम्र में विधायक बना और फिर… पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। उन्होंने राजनीति की तालीम चौधरी चरण सिंह के मार्गदर्शन में पाई और धीरे-धीरे भारतीय क्रांति दल, लोकदल, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, और अंत में बीजेपी जैसी तमाम पार्टियों की सियासी ‘पाठशालाएं’ देखीं। राज्यपाल साहब या सिस्टम के ‘रिवोल्यूशनरी’? बिहार से लेकर गोवा और मेघालय तक —…
Read Moreयूपी के गन्ना किसानों का 4000 करोड़ बकाया, सरकार की वादाखिलाफी
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की स्थिति अब भी दयनीय बनी हुई है। पिछले कुछ वर्षों से सरकार की ओर से वादा किया गया था कि गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन में किया जाएगा, लेकिन हकीकत इससे परे है। इस समय गन्ना किसानों का कुल बकाया 4000 करोड़ से भी ज्यादा है, जिससे किसानों की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं। यूपी के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया, खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, किसानों के लिए लगातार चिंता का विषय बना हुआ है। अब टोल पर राहत!…
Read Moreसिर्फ’राजा भैया’ ही नहीं, एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत है प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ जिला पूर्व मंत्री राजा भैया की वजह से सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस जिला की पहचान सिर्फ राजनीति या बाहुबली छवि से नहीं होनी चाहिए। प्रतापगढ़, जिसे स्थानीय लोग ‘बेल्हा’ भी कहते हैं, एक ऐसा ज़िला है जहाँ इतिहास, धर्म, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम की गूंज आज भी सुनाई देती है। प्रतापगढ़ का नाम राजा प्रताप बहादुर (1628–1682) के बनाए किले ‘प्रतापगढ़’ से पड़ा। जब 1858 में जिले का पुनर्गठन हुआ, तब इसका मुख्यालय बेल्हा में बना और तब से बेल्हा-प्रतापगढ़ के नाम से जाना जाने…
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