सिर्फ’राजा भैया’ ही नहीं, एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत है प्रतापगढ़

अजमल शाह
अजमल शाह

उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ जिला पूर्व मंत्री राजा भैया की वजह से सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस जिला की पहचान सिर्फ राजनीति या बाहुबली छवि से नहीं होनी चाहिए। प्रतापगढ़, जिसे स्थानीय लोग ‘बेल्हा’ भी कहते हैं, एक ऐसा ज़िला है जहाँ इतिहास, धर्म, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम की गूंज आज भी सुनाई देती है। प्रतापगढ़ का नाम राजा प्रताप बहादुर (1628–1682) के बनाए किले ‘प्रतापगढ़’ से पड़ा। जब 1858 में जिले का पुनर्गठन हुआ, तब इसका मुख्यालय बेल्हा में बना और तब से बेल्हा-प्रतापगढ़ के नाम से जाना जाने लगा।

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पौराणिक महत्व: रामायण और महाभारत से गहराई से जुड़ा

सई नदी वही नदी है जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में वर्णित किया:

“सई उत्तर गोमती नहाये।, चैथे दिवस अवधपुर आये।।”

घुइसरनाथ धाम में भगवान श्रीराम ने करील वृक्ष की छाया में विश्राम किया था:

“नव रसाल वन विहरन शीला।, सोह कि कोकिल विपिन करीला।।”

महाभारत काल में युधिष्ठिर और यक्ष संवाद अजगरा में हुआ और भयहरणनाथ धाम में पांडवों ने बकासुर का वध किया।

बाल्कुनी नदी, बांकाजलालपुर और चक्रनगरी जैसे स्थल महाभारत में वर्णित हैं।

कोट इलाके में भगवान बुद्ध ने 3 महीने तपस्या की थी। यह स्थान बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए श्रद्धा का केंद्र है।

1857 की क्रांति और स्वतंत्रता संग्राम

बाबू गुलाब सिंह ने बकुलाही नदी के किनारे अंग्रेजों से ऐतिहासिक युद्ध लड़ा।

कालाकांकर रियासत के राजा हनुमंत सिंह, लाल प्रताप सिंह, और राजा राम पाल सिंह स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत रहे।

महात्मा गांधी ने कालाकांकर में भाषण दिया और सुभाष चंद्र बोस का भव्य स्वागत हुआ था।

किसान आंदोलन की जन्मभूमि

बाबा रामचन्द्र ने 1920 में प्रतापगढ़ में ‘अवध किसान सभा’ की स्थापना की।

किसान संगठनों को जवाहरलाल नेहरू का समर्थन प्राप्त हुआ।

दर्शनीय धार्मिक स्थल

धार्मिक स्थल विशेषता
बेल्हा देवी मंदिर सती के कमर का भाग गिरा, सिद्ध पीठ
भयहरणनाथ धाम पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग
घुइसरनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में विशिष्ट स्थान
भक्ति धाम कृपालु महाराज द्वारा स्थापित राधा-कृष्ण मंदिर
शनिदेव मंदिर चमत्कारी और प्राचीन
चंदिकन देवी धाम दो-ढाई हजार साल पुराना सिद्ध पीठ
चौहर्जन देवी धाम आल्हा-ऊदल द्वारा निर्मित
हौदेश्वर नाथ धाम गंगा के तट पर स्थित
बाबा बेलखरनाथ धाम श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग

साहित्य, कला और आधुनिक हस्तियाँ

हरिवंश राय बच्चन और आचार्य भिखारीदास की जन्मभूमि।

सुमित्रानंदन पंत की कालाकांकर कुटी आज भी विद्यमान।

अमिताभ बच्चन का गहरा रिश्ता बेल्हा से रहा है।

श्वेता तिवारी, अनुपम श्याम ओझा, और रवि त्रिपाठी भी यहीं से हैं।

राजनीति और राजघराने

प्रतापगढ़ की राजनीति में तीन प्रमुख राजघरानों की भूमिका रही है:

राय बजरंग बहादुर सिंह – राजा भैया के पूर्वज, हिमाचल के गवर्नर।

राजा प्रताप बहादुर सिंह – सोमवंशी राजपूत वंश।

राजा दिनेश सिंह – भारत सरकार में विदेश मंत्री रहे।

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अब जब अगली बार प्रतापगढ़ का नाम सुनें, तो सिर्फ ‘राजा भैया’ या ‘कुंडा’ की बात न हो। ये ज़िला तो एक ऐसी ज़मीन है, जहाँ इतिहास साँस लेता है, आस्था मुस्कुराती है, और साहित्य आत्मा को छूता है।

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