
भारत की सैन्य कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर कूटनीतिक मोर्चे पर भी पूरी तरह सक्रिय हो चुके हैं। उन्होंने अब तक 10 से अधिक देशों के विदेश मंत्रियों और नेताओं से संपर्क कर भारत का पक्ष मजबूती से रखा।
किन नेताओं से हुई बात?
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कतर: पीएम और विदेश मंत्री MBA अल थानी
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जापान: विदेश मंत्री ताकेशी इवाया
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फ्रांस: विदेश मंत्री जीन नोएल बैरेट
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जर्मनी: विदेश मंत्री जोहान वेडफुल
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स्पेन: विदेश मंत्री जोस मैनुअल अल्बारेस
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सऊदी अरब: विदेश राज्य मंत्री (दिल्ली में मुलाकात)
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ईरान: विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची
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अमेरिका: विदेश मंत्री मार्को रूबियो
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EU: विदेश मामलों की प्रमुख प्रतिनिधि
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इटली: डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री एंटोनियो ताजानी
भारत का रुख क्या रहा?
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भारत ने स्पष्ट किया कि यह जवाबी कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ एक लक्षित कार्रवाई है, न कि युद्ध की पहल।
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नागरिकों की सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और आत्मरक्षा को प्राथमिकता बताया गया।
कूटनीतिक दबाव में पाकिस्तान
भारत की इस रणनीतिक कूटनीति ने वैश्विक समुदाय में पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है। अमेरिका से लेकर EU तक, सभी ने संयम और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख की बात की है।
एस जयशंकर की कूटनीतिक सक्रियता ने यह साफ कर दिया है कि भारत सिर्फ सैन्य रूप से नहीं, बल्कि राजनयिक स्तर पर भी पूरी तैयारी में है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का मजबूत ग्लोबल समर्थन मिलना पाकिस्तान के लिए एक और बड़ी हार है।
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