यमन में नर्स को ऐसी सजा जिससे कांप उठे रूह- रीढ़ तोड़ दिल के चिथड़े

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

16 जुलाई 2025—यह तारीख भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के जीवन की आखिरी हो सकती है। यमन में हत्या के आरोप में दोषी करार दी गईं निमिषा को गोली मारकर मौत की सजा दी जाएगी। वह 2011 में अपने परिवार के साथ सना गई थीं, लेकिन 2014 में पति और बेटी लौट आए। वह वहीं रह गईं और किस्मत ने उन्हें इस भयावह मोड़ पर ला खड़ा किया।

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कैसे दी जाती है यमन में फांसी?

यमन में मृत्युदंड एक अमानवीय प्रक्रिया से गुजरता है:

  • दोषी को ज़मीन पर लिटा दिया जाता है — अक्सर किसी कंबल या गलीचे पर।

  • डॉक्टर पीठ पर दिल के ठीक ऊपर एक निशान लगाता है।

  • जल्लाद ऑटोमैटिक राइफल से उसी निशान पर कई राउंड गोलियां बरसाता है।

  • गोलियां रीढ़ की हड्डी तोड़ते हुए दिल को चिथड़े कर देती हैं।

यह प्रक्रिया न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत क्रूर है।

किन मामलों में मिलती है यमन में मौत की सजा?

यमन में निम्न अपराधों के लिए मौत की सजा दी जाती है:

  • हत्या, बलात्कार, आतंकवाद

  • शरिया आधारित अपराध जैसे:

    • व्यभिचार

    • समलैंगिकता

    • ईशनिंदा

    • धर्म परिवर्तन

  • अपहरण, डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी

  • सैन्य अपराध, जासूसी, देशद्रोह

2024 में ही हूती अदालत ने 44 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी।

क्या कोई उम्मीद बची है?

भारत सरकार, एनजीओ और मानवाधिकार संगठन अभी भी यमन से अपील कर रहे हैं। लेकिन हूती नियंत्रण वाले यमन में न्यायिक प्रक्रिया अस्थिर और कट्टरपंथी मानी जाती है।

भारत बनाम यमन: फांसी देने में फर्क

मापदंड भारत यमन
सजा का तरीका फांसी द्वारा गोली मारकर, कभी-कभी सिर कलम
अपराध रेयरेस्ट ऑफ रेयर हत्या से लेकर समलैंगिकता तक
ट्रायल सिस्टम लोकतांत्रिक, अपील संभव इस्लामिक शरिया आधारित, हूती नियंत्रण

क्या कहता है मानवाधिकार जगत?

ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठन यमन की इस क्रूर न्याय व्यवस्था की आलोचना करते हैं। सरेआम फांसी, कोड़े मारना, सिर कलम करना – ये सब अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ हैं।

निमिषा प्रिया का मामला ना केवल एक महिला की त्रासदी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों की भी अग्नि परीक्षा है। जहां एक ओर भारत पूरी कोशिश कर रहा है, वहीं यमन की कट्टर न्याय प्रणाली मानवता को चुनौती देती दिख रही है।

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