सिविल सर्विसेज एस्पिरेंट ध्यान दें- जानिए बगलिहार और किशनगंगा डैम विवाद

Prabhash Bahadur Civil Services Mentor
Prabhash Bahadur Civil Services Mentor

1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच जो सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) हुई थी, वह अब फिर से विवादों में है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने इस संधि को “स्थगित” करने का निर्णय लिया है, जिससे पाकिस्तान में खलबली मच गई है।

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पाकिस्तान को डर है कि भारत उसके हिस्से की नदियों — चिनाब और झेलम — का पानी रोक सकता है या दिशा बदल सकता है।

क्या हो रहा है बगलिहार और किशनगंगा डैम पर?

बगलिहार डैम (चिनाब नदी, रामबन):

  • सभी फाटक बंद किए गए हैं।

  • NHPC के मुताबिक़, ये कदम गाद (silt) निकालने के लिए उठाया गया।

  • इस प्रक्रिया से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी का बहाव 90% तक घट गया है।

किशनगंगा डैम (झेलम नदी, कश्मीर):

  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत इसके फाटकों को भी नियंत्रित करने की योजना बना रहा है।

  • इससे पाकिस्तान में पानी की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।

पाकिस्तान की चिंता: “युद्ध” की चेतावनी

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने कहा है:

“अगर भारत पानी को रोकेगा या दिशा बदलेगा, तो इसे ‘युद्ध’ की कार्यवाही मानी जाएगी।”

उनका आरोप है कि पानी रोकना बंदूक चलाने जैसा ही है, जिससे पाकिस्तान में लोग भूख और प्यास से मर सकते हैं।

भारत की रणनीति: हाइड्रो पावर से दबाव?

भारत ने चिनाब बेसिन पर नई पनबिजली परियोजनाओं पर तेजी से काम शुरू कर दिया है:

  • पाकल दुल (1000 मेगावॉट)

  • किरू (624 मेगावॉट)

  • क्वार (540 मेगावॉट)

  • रतले (850 मेगावॉट)

इनमें से ज्यादातर पर 50% से ज़्यादा काम पूरा हो चुका है। पाकिस्तान का दावा है कि इन परियोजनाओं के डिज़ाइन सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करते हैं।

तकनीकी दृष्टिकोण: भारत क्या कर सकता है?

  • संधि के अनुसार, भारत पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) पर सीमित हाइड्रो प्रोजेक्ट्स बना सकता है।

  • लेकिन फाटकों को जब चाहें खोलना या बंद करना एक रणनीतिक विकल्प बन सकता है।

  • पाकिस्तान को डर है कि सूखे में पानी रोका जाएगा और बाढ़ में छोड़ा जाएगा।

पानी अब कूटनीतिक हथियार है?

भारत ने सिंधु जल समझौते को कभी नहीं तोड़ा, लेकिन अब “स्थगन” का फैसला इस ओर संकेत कर रहा है कि पानी अब सिर्फ संसाधन नहीं, दबाव बनाने का औज़ार भी है।

पाकिस्तान को इस बात का एहसास है कि भारत अगर जल नीति में परिवर्तन करता है, तो भविष्य का भू-राजनीतिक संतुलन बदल सकता है।

क्या आगे युद्ध या समाधान?

  • वर्ल्ड बैंक फिर से मध्यस्थता करेगा?

  • भारत जल को लेकर ‘स्ट्रेटेजिक डिटरेंस’ अपनाएगा?

  • पाकिस्तान अंदरूनी संसाधनों पर काम करेगा या फिर पुराने पैंतरों पर?

आने वाले हफ्ते सिंधु घाटी में पानी के बहाव से ज्यादा, राजनीति का दबाव देखने को मिलेगा।

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