
रफ़ाल विमान एक बार फिर भारतीय राजनीति के केंद्र में है, लेकिन इस बार किसी रक्षा रणनीति के तहत नहीं, बल्कि ‘नींबू-मिर्ची’ को लेकर। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय द्वारा रफ़ाल मॉडल पर नींबू और मिर्ची दिखाते हुए दिया गया तंज अब सियासी विवाद का रूप ले चुका है।
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क्या बोले अजय राय?
अजय राय ने सवाल उठाते हुए कहा,
“जब रफ़ाल आया था तो रक्षा मंत्री ने नींबू-मिर्ची बाँधी थी। अब बताइए ये नींबू-मिर्च कब हटेगा, और रफ़ाल आतंकियों के खिलाफ कब इस्तेमाल होगा?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा के हर प्रयास में सरकार के साथ खड़ी है, लेकिन प्रतीकात्मक बातों की जगह ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।
उनका कहना था,
“ये बयान सेना का मनोबल गिराने और रफ़ाल जैसे गंभीर रक्षा मुद्दे का मज़ाक उड़ाने जैसा है। कांग्रेस दोहरा खेल खेल रही है – एक तरफ साथ होने की बात और दूसरी तरफ ऐसी बयानबाज़ी।”
नींबू-मिर्ची का संदर्भ क्या है?
2019 में जब पहला रफ़ाल विमान भारत आया था, तब रक्षा मंत्री ने उसमें ‘नज़र से बचाने’ के लिए धार्मिक प्रतीक के तौर पर नींबू और मिर्ची बांधी थी। इसी पर अजय राय ने तंज कसा है।
राजनीतिक मायने
रफ़ाल, जो कभी भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर चर्चा में था, अब नींबू-मिर्ची के प्रतीकवाद के जरिए सियासी बहस का केंद्र बन गया है।
चाहे यह बयान प्रतीकात्मक हो या राजनीतिक रणनीति का हिस्सा, यह साफ है कि रफ़ाल अब केवल एक रक्षा विमान नहीं, बल्कि राजनीतिक विमर्श का हथियार बन चुका है। दोनों पार्टियां इसे अपने-अपने तरीके से भुना रही हैं – एक तंज के रूप में, दूसरी देशभक्ति की रक्षा में।
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