चरणजीत चन्नी के बयान से मचा बवाल, BJP ने कांग्रेस को बताया ‘ग़द्दारों की टोली’

अजीत उज्जैनकर
अजीत उज्जैनकर

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा:

“आज तक मुझे तो नहीं पता चला कि कहां स्ट्राइक हुई। कोई बम गिरे तो पता नहीं चलेगा? कुछ नहीं हुआ, किसी को पता नहीं चला।”

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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर स्ट्राइक वाकई हुई होती, तो उसके प्रमाण जनता के सामने आने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने की ज़रूरत है, न कि सिर्फ दावे करने की।

नायब सिंह सैनी की प्रतिक्रिया: “चन्नी कहीं और की भाषा बोल रहे हैं”

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा:

“उरी में इतना बड़ा हमला हुआ, वह भी इन्हें नहीं दिखा। यह लोग अपनी नहीं, किसी और की भाषा बोल रहे हैं।

उन्होंने इशारों-इशारों में कांग्रेस के कुछ नेताओं पर देश विरोधी विचारधारा से प्रभावित होने का आरोप भी लगाया।

रविंदर रैना का तीखा हमला: “ग़द्दारों की टोली है कांग्रेस”

जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने चन्नी के बयान को सेना के शौर्य का अपमान बताया। उन्होंने कहा:

“कांग्रेस ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर फिर से देश से ग़द्दारी की है। यह पार्टी हमेशा भारत माता की पीठ में खंजर घोंपने का काम करती है।”

उन्होंने कांग्रेस को “ग़द्दारों की टोली” कहकर तीखा हमला बोला।

कांग्रेस की पुरानी लाइन दोहराई चन्नी ने?

यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेता, जैसे दिग्विजय सिंह और मनीष तिवारी, ऐसे बयान दे चुके हैं, जिन पर बीजेपी ने ‘देशविरोधी रुख’ का आरोप लगाया था।

सेना के पराक्रम पर सवाल या राजनीतिक पैंतरा?

चन्नी के बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर भी राजनीतिक लाभ के लिए सवाल उठाना उचित है?
विशेषज्ञों का मानना है कि सर्जिकल स्ट्राइक जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति से जनता का भरोसा प्रभावित हो सकता है।

सियासी बयानों की गर्मी में सेना की भूमिका ना भुलाई जाए

जहां एक ओर चन्नी जैसे नेता सर्जिकल स्ट्राइक के प्रमाण की मांग कर रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे देशभक्ति और सेना के सम्मान का मुद्दा बना रही है।
यह आवश्यक है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में राजनीतिक दल संयम और जिम्मेदारी से काम लें।

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