जयराम रमेश का दावा: 11 साल से अघोषित आपातकाल। BJP का पलटवार

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि पिछले 11 सालों से देश में अघोषित आपातकाल जैसा माहौल बना हुआ है।
उनके अनुसार, संविधान पर लगातार हमला हो रहा है, मीडिया को नियंत्रित किया जा रहा है और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है – यह सब किसी ‘नाममात्र की आपातकाल’ से कम नहीं।

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“चार सौ पार” का ड्रामा: संविधान बदलने की साजिश?

जयराम ने आरोप लगाया कि 2024 के चुनाव में पीएम मोदी ने ‘चार सौ पार’ का जनादेश मांगकर संविधान बदलने का इरादा जताया – जो जनता ने ठुकरा दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों को बिना बहस कर जबरन पास कराया गया और संसदीय समितियों को ताक पर रखा गया।

50 साल बाद भी गूंजता ऐतिहासिक दर्द: बीजेपी का जवाब

50 वर्ष पहले लगा इमरजेंसी आज भी BJP की जुबां पर है। सांसद संबित पात्रा ने कहा:

“इमरजेंसी में 1.5 लाख लोग जेल में डाले गए, प्रेस की बिजली काटी गई, यह इतिहास भूलने योग्य नहीं।”

बीजेपी इस साल काला दिवस मना रही है और कांग्रेस की आलोचना कर रही है कि “उनकी बौखलाहट साफ दिख रही है।”

मल्लिकार्जुन खड़गे का पलटवार: यह भी इमरजेंसी ही है!

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि उनकी ‘संविधान यात्रा’ से BJP घबरा गई है और अब पुरानी इमरजेंसी छेड़ी जा रही है।
उन्होंने कहा कि आज की सरकार गरीब को और गरीब बना रही है, बेरोज़गारी, महंगाई और भ्रष्टाचार का कोई जवाब नहीं दे पा रही।
और यह अघोषित इमरजेंसी संविधान में किए गए बदलावों के बाद और भी खतरनाक रूप ले चुकी है।

लोकतंत्र की रक्षा या फिर नया युग खामोशी का?

देश में पिछले 11 सालों से चल रही कथित “अघोषित आपातकाल” की बहस अब राष्ट्रीय मुद्दा बन गई है।
जहाँ कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, वहीं BJP पुरानी आपातकाल की त्रासदी याद दिलाकर माना रही है कि कुछ तो गड़बड़ जरूर है।

क्या यह समय है लोकतंत्र का रिफ्रेश बटन दबाने का?
या फिर आपातकाल 2.0 में मात खा गया संविधान, मीडिया और जनता का अधिकार?

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