
रियो डी जेनेरियो में हुई BRICS की 17वीं समिट, लेकिन चर्चा सिर्फ विकास या जलवायु पर नहीं रही — एक और हीरो ऑफ कैमरा अपनी एंट्री मार चुका था — नाम है: डोनाल्ड ट्रंप!
जैसे ही ब्रिक्स की बैठक में 11 देशों ने आतंकवाद, ग्लोबल गवर्नेंस, एआई और ‘डॉलर डिटॉक्स’ जैसे गंभीर मुद्दों पर विचार किया, ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर धमकी दी:
“जो BRICS के साथ दिखेगा, उस पर 10% टैरिफ पड़ेगा — कोई अपवाद नहीं!”
अब बिना इंटरनेट भी होगी चैटिंग! WhatsApp हो गया पुराना, आ गया Bitchat!
ट्रंप को आखिर दिक्कत क्या है BRICS से?
BRICS धीरे-धीरे डॉलर के वर्चस्व पर सवाल उठाने लगा है, और ये बात ट्रंप के लिए किसी कैफीन-फ्री कॉफी जैसी कड़वी है।
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BRICS अपने स्वतंत्र करेंसी सिस्टम पर विचार कर रहा है।
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डॉलर की जगह ले सके, ऐसी योजना ट्रंप को बुरी तरह नागवार है।
उन्हें डर है – कहीं डॉलर का प्रभुत्व गया, तो अमेरिका का सूपड़ा साफ!
BRICS: अब महज़ क्लब नहीं, एक ग्लोबल ‘गठबंधन गुरू’
इस बार BRICS में शामिल थे: भारत, चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका के साथ ईरान, सऊदी अरब, यूएई, इथियोपिया, मिस्र और इंडोनेशिया।
अब सोचिए,
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कुल आबादी: करीब 3.6 अरब लोग
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जीडीपी में हिस्सा: करीब 40%
यानी ये कोई पांच देशों की मंडली नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ का सुपरपावर सपना है।
“दुनिया को सम्राट की ज़रूरत नहीं” – ब्राजील का ट्रंप को सीधा जवाब
ट्रंप की धमकी पर ब्राजील के राष्ट्रपति ने सीधा जवाब दिया:
“दुनिया बदल चुकी है, अब किसी सम्राट की नहीं, साझेदारियों की ज़रूरत है।”
यानी कूटनीति में भी अब “किंग कॉन्ग स्टाइल” नहीं चलेगी।
डॉलर छोड़ो, दिक्कतें लो – ट्रंप को सबसे बड़ा डर क्या?
ट्रंप को डर है कि अगर BRICS देश:
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डॉलर छोड़कर ट्रेड करें,
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या अपनी करेंसी लाएं,
तो इससे: -
डॉलर की मांग घटेगी
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अमेरिका की वैश्विक हैसियत कमजोर होगी
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और ट्रंप की “Make America Great Again” स्लोगन की हवा निकल सकती है।
ट्रंप की रणनीति: “BRICS को पहले ही झुका दो!”
2024 के चुनाव में ट्रंप फिर से BRICS के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं:
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BRICS देशों पर आर्थिक प्रतिबंध
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तेल उत्पादन दुगुना करने की योजना ताकि ब्रिक्स के तेल उत्पादक देशों की कमर तोड़ी जा सके
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और सैन्य गठजोड़ (NATO, QUAD) के जरिए कूटनीतिक घेराबंदी
अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी चिंतित!
CIA, NSA जैसी अमेरिकी संस्थाएं भी मान रही हैं कि BRICS अब सिर्फ ‘विकासशील’ क्लब नहीं रहा — बल्कि ये अमेरिका के एकाधिकार पर पहला असली सवाल बन चुका है।
क्या BRICS अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है?
अभी नहीं।
लेकिन अगर:
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साझा करेंसी आ गई
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ऊर्जा, व्यापार, रक्षा और टेक्नोलॉजी में सहयोग मजबूत हुआ
तो लॉन्ग टर्म में BRICS बन सकता है G7 का विकल्प — और अमेरिका को लग सकता है झटका!
ब्रिक्स का भूत, ट्रंप की नींद का दुश्मन!
ट्रंप को डर है कि ये ‘ब्रिक्स भूत’ कहीं White House से डॉलर की आत्मा ही न निकाल दे।
क्योंकि अगर दुनिया ने BRICS की राह पकड़ ली, तो ट्रंप को MAGA नहीं, “Make America Relevant Again” का नारा लगाना पड़ सकता है।
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