
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गंगा एक्सप्रेसवे को न केवल देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है, बल्कि उसकी गुणवत्ता और कम्फर्ट को लेकर एक ऐतिहासिक तकनीकी पहल भी की है। अब इस एक्सप्रेसवे की हर लेन की एआई और सेंसर तकनीक से निगरानी होगी।
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इस पहल में स्विट्जरलैंड की ETH Zurich यूनिवर्सिटी और RTDT Laboratories AG की मदद ली जा रही है, जो विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण में विशेषज्ञ माने जाते हैं।
एआई और सेंसर से ऑन-साइट मॉनिटरिंग
यूपीडा (UPEIDA) के एसीईओ श्रीहरि प्रताप शाही के अनुसार, इस अत्याधुनिक तकनीक से गंगा एक्सप्रेसवे की हर लेन की राइडिंग क्वॉलिटी, सतह की समतलता और कम्फर्ट की जांच की जा रही है।
एक विशेष रूप से सुसज्जित इनोवा वाहन, जिसमें लगे हैं 7 एक्सेलेरोमीटर सेंसर (4 गुणवत्ता और 3 कम्फर्ट के लिए), सभी लेनों का डेटा लाइव ग्राफ के रूप में साझा करता है।
निर्माण के दौरान ही पता चलेगी खामी
पहले जहां निर्माण पूरा होने के बाद जांच होती थी, अब यह प्रणाली निर्माण के दौरान ही खामियों को पकड़कर तत्काल सुधार सुनिश्चित कर रही है। इससे न केवल सड़क की गुणवत्ता बढ़ती है बल्कि मेंटेनेंस लागत और समय की भी बचत होती है।
ETH Zurich और RTDT AG से साझेदारी
ETH Zurich और RTDT AG की विशेषज्ञता ने इस तकनीक को लागू करने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह साझेदारी योगी सरकार की तकनीक आधारित पारदर्शी प्रशासन की मिसाल बन रही है। रियल-टाइम डाटा एनालिसिस से यह तय हो रहा है कि कौन से हिस्से को सुधार की जरूरत है।
‘एक्सप्रेस प्रदेश’ की ओर योगी सरकार
गंगा एक्सप्रेसवे की सफलता के बाद सरकार अब इसी तकनीक को गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर लागू करने की योजना बना रही है। यह एक्सप्रेसवे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से गोरखपुर को जोड़ेगा, और इसकी लंबाई होगी 91.35 किमी। स्विस तकनीक से यह मार्ग भी उच्च गुणवत्ता का होगा।
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