
लखनऊ की सड़कों पर बिछी चमकती टाइल्स और तीसरी सबसे साफ शहर की ट्रॉफी… लेकिन नीचे बहता खुला नाला सुरेश की जान ले गया।
शनिवार को तेज़ बारिश में राधाग्राम निवासी सुरेश (38) बहते नाले में गिर गया। रविवार को उसका शव IIM रोड बंधा के पास मिला।
पूरे शहर में झटका, लेकिन जनता के लिए ये कोई नई बात नहीं — क्योंकि हर साल यही होता है, बस नाम और चेहरे बदल जाते हैं।
CM योगी ने जताया दुख, पर जनता बोली – ‘अब नहीं चाहिए संवेदना, चाहिए सिस्टम!’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरेश की मौत पर गहरी संवेदना जताई और प्रमुख सचिव नगर विकास को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
उन्होंने 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की, साथ ही कहा कि परिवार को बच्चों की शिक्षा और देखरेख में मदद मिलेगी।
लेकिन जनता अब “सहानुभूति और चेक” की स्क्रिप्ट से थक चुकी है।
नगर निगम की लापरवाही: विकास केवल PPT में?
स्थानीय लोगों का कहना है कि ठाकुरगंज इलाके में हर साल नाले ओवरफ्लो होते हैं, लेकिन नगर निगम की तैयारी सिर्फ फाइलों में साफ-सुथरी रहती है।
सुरेश की मौत ने इन खुले नालों की जानलेवा सच्चाई को सामने ला दिया।
नगर विकास विभाग ने हादसे के बाद ओपन नालों का सर्वे शुरू किया है और ज़िम्मेदार अफसरों की पहचान व कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
योगी जी, लखनऊ की गलियों में स्वागत है: मलिन बस्ती घोषित कर सकते हैं
हेलो यूपी ने उठाया था मुद्दा: “योगी जी, लखनऊ की गलियों में स्वागत है!”
हेलो यूपी ने शनिवार को ही सवाल उठाया था कि लखनऊ के कई इलाकों की हालत मलिन बस्तियों से भी बदतर है।
“योगी जी, लखनऊ की गलियों में स्वागत है: मलिन बस्ती घोषित कर सकते हैं” — ये व्यंग्य नहीं, हकीकत की चीख थी।
सुरेश की मौत ने उस व्यंग्य को कब्र के पत्थर की तरह सच बना दिया।
‘तीसरा सबसे साफ शहर’ की हकीकत जमीन पर बह रही है
जब लखनऊ को देश का तीसरा सबसे साफ शहर घोषित किया गया, तब शायद रैंकिंग देने वालों ने नालों का “डिप्थ टेस्ट” नहीं किया।
साफ दिखने और सुरक्षित होने में जमीन-आसमान का फर्क होता है। सुरेश की मौत ने ये फर्क शब्दों में नहीं, शव में बता दिया है।
अब वक्त है कि सरकार और प्रशासन कागज़ों से निकलकर गलियों में जाए, वरना अगली रैंकिंग तक कोई और सुरेश बह चुका होगा।