
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव ने दक्षिण एशिया में जियोपॉलिटिकल अस्थिरता को नया रूप दे दिया है। इस बीच तालिबान के एक वरिष्ठ नेता और अफगानिस्तान में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत मुल्ला अब्दुल सलाम ज़ईफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक कड़ा संदेश देते हुए पश्तून समुदायों को जिहादी खेलों से दूर रहने की चेतावनी दी है।
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ज़ईफ़ ने अपने बयान में कहा है कि पाकिस्तान जिहाद के नाम पर पश्तून युवाओं को भारत के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर सकता है, जो बेहद खतरनाक है। उन्होंने लिखा, “अपने बच्चों को पाकिस्तान की राजनीति और युद्ध के खेलों से दूर रखें।”
भारत की एयरस्ट्राइक और पाकिस्तान में मची खलबली
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब 6-7 मई की रात को देते हुए पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है।
ज़ईफ़ का बयान क्यों अहम है?
तालिबान ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान का सहयोगी रहा है। तालिबान का बड़ा हिस्सा पश्तून समुदाय से आता है। अब जब तालिबान अफगानिस्तान की गवर्निंग बॉडी है, तो वे नहीं चाहते कि उनका समुदाय एक और संघर्ष का मोहरा बने।
ज़ईफ़ का यह बयान तालिबान की नई राजनीतिक सोच और दक्षिण एशिया में स्थिरता की इच्छा को दर्शाता है। यह पाकिस्तान के उन प्रयासों पर भी सवाल खड़ा करता है, जिनमें वह जातीय समुदायों को भड़काकर रणनीतिक लाभ लेना चाहता है।
अफगानिस्तान व्यापार पर असर
भारत-पाक तनाव ने अफगान निर्यात को भी प्रभावित किया है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान संयुक्त चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के प्रमुख नकीबउल्लाह सफ़ी के अनुसार, वाघा बॉर्डर पर सूखे मेवों से लदे ट्रक फंसे हुए हैं और मंजूरी का इंतज़ार कर रहे हैं। इससे अफगान व्यापार को लंबे समय तक आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
मुल्ला ज़ईफ़ का बयान भारत-पाक संघर्ष के मानवीय और क्षेत्रीय पहलुओं को उजागर करता है। तालिबान अब अपने समुदाय को भड़कावे और दुष्प्रचार से बचाकर क्षेत्रीय स्थिरता की ओर बढ़ना चाहता है। पाकिस्तान की रणनीति पर उठे सवाल एक नई बहस को जन्म दे रहे हैं — क्या पाकिस्तान अब भी जिहादी मानसिकता से बाहर नहीं आया?
भारत का पाकिस्तान को जवाब, सिर्फ शब्दों में नहीं, एक्शन में!