
वर्त्तमान भारतीय राजनीति में जब महिला नेतृत्व की बात होती है, तो स्मृति ईरानी का नाम पहली पंक्ति में आता है। अब जब यह कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा रहा है, तो यह सवाल स्वाभाविक है — क्या उनका सफर सिर्फ किस्मत का खेल था या संगठन की सधी हुई रणनीति?
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सच्चाई है – पीएम मोदी, अमित शाह और संघ के लिए स्मृति ईरानी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि “मिशन 2029” की सबसे बड़ी रणनीतिक मोहरा हैं।
छोटे पर्दे से दिल्ली की सत्ता तक
स्मृति ईरानी ने टीवी पर ‘तुलसी’ बनकर देश के घर-घर में पहचान बनाई, लेकिन पर्दे के पीछे वो एक जुझारू, पढ़ने-सीखने और हर चुनौती को स्वीकारने वाली महिला थीं। उनका सपना सिर्फ एक्टिंग तक सीमित नहीं था – वो नेतृत्व करना चाहती थीं।
बीजेपी में एंट्री और संघ की नज़र
2003 में जब उन्होंने बीजेपी जॉइन की, तो बहुतों ने इसे टीवी की लोकप्रियता भुनाने की कोशिश माना। लेकिन आरएसएस ने उनके अंदर अनुशासित, जमीनी और मुखर नेतृत्व की क्षमता देखी। उन्होंने राजनीति सीखी और खुद को एक वर्किंग लीडर के रूप में स्थापित किया।
अमेठी में राहुल गांधी को हराकर बनाई राष्ट्रीय पहचान
2014 में उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ा, हार मिली लेकिन दिल नहीं हारीं। 2019 में वही अमेठी सीट उन्होंने जीतकर कांग्रेस का दशकों पुराना गढ़ ढहा दिया। यही वह मोड़ था जिसने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में ‘स्ट्राइकिंग फेस’ बना दिया।
मंत्री के रूप में प्रदर्शन
स्मृति ईरानी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास जैसे अहम मंत्रालयों में काम किया। वे मोदी मंत्रिमंडल की सबसे भरोसेमंद और आक्रामक चेहरों में से एक बन गईं। उनकी डायरेक्ट स्टाइल, सटीक जवाब और ट्विटर पर एक्टिव उपस्थिति ने उन्हें जनता से जोड़ दिया।
पीएम मोदी, अमित शाह और संघ की पसंद
स्मृति ईरानी ना सिर्फ पीएम मोदी की पहली पसंद हैं, बल्कि अमित शाह के साथ भी उनकी बेहतरीन वर्किंग केमिस्ट्री रही है। संघ भी उन्हें लंबे समय से एक “आइकॉनिक महिला चेहरा” मानता रहा है, जो संगठनात्मक तौर पर अनुशासित भी है और मीडिया फ्रेंडली भी।
बीजेपी अध्यक्ष के रूप में क्या बदल सकता है?
अगर स्मृति ईरानी अगली बीजेपी अध्यक्ष बनती हैं:
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महिला नेतृत्व का बड़ा संदेश जाएगा
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विपक्षी दलों को नया रणनीतिक टारगेट मिलेगा
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उत्तर भारत, खासकर यूपी में बीजेपी की पकड़ और मज़बूत हो सकती है
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2029 के लोकसभा चुनाव में एक नया चेहरा कमान संभाल सकता है
स्मृति ईरानी – संघ और सत्ता की पुल
टीवी की तुलसी से लेकर मोदी की भरोसेमंद तुलसी बनने तक का यह सफर सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उस महिला की जीत है जिसने संघर्ष, रणनीति और विश्वास – तीनों को साध लिया। अगर स्मृति ईरानी अगली बीजेपी अध्यक्ष बनती हैं, तो यह सिर्फ एक राजनीतिक नियुक्ति नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में महिला शक्ति का नया अध्याय होगा।
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