
12 जून 2025, अहमदाबाद एयरपोर्ट से AI-171 ने लंदन के लिए उड़ान भरी — और ठीक 15 सेकंड में दुनिया से विदा हो गई। एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर, जिसे “उड़ता महल” कहा जाता था, सेकंडों में “डेडलाइनर” बन गया।
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दोनों इंजन फेल: टेकऑफ नहीं, टेक-डाउन!
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट ने खुलासा किया कि उड़ान भरते ही दोनों इंजन एक साथ फेल हो गए। जी हां, दोनों! तकनीकी खराबी ऐसी कि फ्लाइट उड़ान नहीं, फिसलन भरे स्लाइड में तब्दील हो गई। यह वैसा ही है जैसे शादी के मंडप में लाइट चली जाए और पंडित जी भी गूगल करने लगें।
‘मेडे’ का मतलब मौत?
पायलट ने टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद ‘मेडे’ कॉल दी — यानी “बचाओ!” लेकिन अफसोस, सिस्टम तो “बैठा” था। 15 सेकंड के भीतर फ्लाइट एक बिल्डिंग से टकरा गई, और 275 जिंदगियाँ पल भर में राख हो गईं। टेकऑफ के समय फ्लैप्स और स्लेट्स पूरी तरह दुरुस्त थे, मतलब इंसान तैयार थे, मशीन नहीं।
275 की मौत, 1 बचा: सीट 11A बना ‘जीवन’ की सीट
हादसे में सबसे चौंकाने वाली बात? सिर्फ एक आदमी बचा — सीट नंबर 11A का यात्री। अब वो व्यक्ति सोशल मीडिया पर “Final Destination” के रियल हीरो के नाम से वायरल है। उसे देखकर बाकी लोग यही सोच रहे हैं: “भाई तेरा लक कहां से खरीदें?”
राजनेता से लेकर पायलट तक — सब स्वाहा
इस क्रैश में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत 241 यात्री, 2 पायलट, 10 क्रू और 30 बिल्डिंग के निवासी मारे गए। रिपोर्ट ने देश के विमानन तंत्र की ऐसी हालत बताई है जैसे पुरानी स्कूटी में रेस देना — इंजन बुलेट की आवाज़ करता है, लेकिन निकलती साइकिल की स्पीड से है।
भारत में विमान अब उड़ नहीं रहे, बस गिरने की तैयारी में रहते हैं। टेक्नोलॉजी पर भरोसा अच्छा है, लेकिन उसका मेंटेनेंस और जवाबदेही भी ज़रूरी है। वरना अगली फ्लाइट की सीट नंबर 11A की मांग बहुत बढ़ने वाली है।