हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं, और चार महीनों तक यहीं विश्राम करते हैं। यह दिन चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक होता है — एक ऐसा काल जिसमें धार्मिक, वैवाहिक और मांगलिक कार्यों पर विराम लगा होता है। पौराणिक कथाओं, धार्मिक परंपराओं और वैज्ञानिक तथ्यों के संदर्भ में यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। लखनऊ की अजादारी: मोहर्रम की परंपरा, इतिहास और गंगा-जमुनी तहज़ीब का संगम पौराणिक पृष्ठभूमि: वामन अवतार और राजा…
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